Rajasthan News: राजस्थान में जातिगत भेदभाव का दंश अब भी समाप्त नहीं हो पाया है. इसका हालिया उदाहरण खैरथल-भिवाड़ी क्षेत्र के लाहडोद गांव में देखने को मिला. यहां एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठाने के लिए दो थानों की पुलिस और सीआईडी की टीम तैनात करनी पड़ी. दूल्हे की निकासी का वीडियो भी सामने आया, जिसमें पुलिस के जवान बारात के साथ चलते नजर आए. यह घटना इस गांव में पहली बार हुई जब किसी दलित दूल्हे ने घोड़ी पर सवार होकर अपनी बारात निकाली.

आशीष की शादी: परंपरा को तोड़ने का साहस
लाहडोद गांव के 23 वर्षीय आशीष की शादी गुरुवार रात हुई. गांव में इससे पहले किसी भी दलित ने घोड़ी पर बैठने का साहस नहीं किया था. आशीष ने इस परंपरा को तोड़ने का निश्चय किया, लेकिन इसके कारण परिवार को विरोध और हिंसा का डर था. इस स्थिति से निपटने के लिए पुलिस से सुरक्षा मांगी गई.
भारी सुरक्षा में निकली बारात
शिकायत मिलने पर कोटकासिम और किशनगढ़बास थानों के अधिकारी, सीआईडी इंचार्ज प्रीति राठौड़ और भारी पुलिस बल गांव में तैनात किया गया. पुलिस की मौजूदगी में आशीष की बारात शांतिपूर्ण तरीके से निकाली गई. घटना के दौरान पूरा गांव पुलिस छावनी में बदल गया था.
बहन की शादी का अनुभव और बदलाव की लहर
आशीष ने घोड़ी पर बैठने का फैसला इसलिए किया क्योंकि कुछ साल पहले उसकी बहन की शादी में दूल्हा दबंगों के डर से पैदल गांव आया था. यह घटना आशीष के लिए प्रेरणा बनी. हालांकि, राजस्थान के कई गांवों में अब बदलाव की हवा बह रही है. बाड़मेर और अजमेर में हाल ही में ऐसे मामले सामने आए, जहां राजपूत समाज ने दलितों की शादियों में सहयोग कर सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किए.
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