Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 दिसंबर को जयपुर के दादिया गांव में Parvati-Kalisindh-Chambal Eastern Rajasthan Canal Project (PKC-ERCP) का शिलान्यास करेंगे. इस परियोजना के जरिए राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई जिलों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा मिलेगी.

पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. Jaipur Police ने 12 आईपीएस, 55 एडिशनल एसपी, 70 डिप्टी एसपी, 300 एसआई/एएसआई और 4000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है. इसके अलावा, 11 RAAC Companies भी सुरक्षा में लगाई गई हैं. पीएम के रूट पर सभी ऊंची इमारतों पर Commandos की तैनाती होगी.

रविवार को पुलिस ने एयरपोर्ट से दादिया तक Rehearsal की. इस दौरान मुख्य मार्गों पर यातायात को डायवर्ट किया गया. जयपुर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार संदिग्धों पर नजर रख रही हैं. एयरपोर्ट, सभा स्थल और आसपास के होटलों में Checking Campaign चलाया जा रहा है.

70 हजार करोड़ की लागत का अनुमान

इस परियोजना की New DPR के अनुसार, PKC-ERCP की लागत 70 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है. इस प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार 90% खर्च वहन कर सकती है, जबकि राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार को केवल 10% खर्च करना होगा.

परियोजना का लाभ

PKC-ERCP प्रोजेक्ट से राजस्थान के 21 और मध्यप्रदेश के 15 जिलों को फायदा होगा. यह परियोजना कृषि, उद्योग और पेयजल के लिए पानी की आपूर्ति करेगी. इसमें 158 जल स्रोत जैसे बांध और तालाब शामिल किए जाएंगे, जिन्हें भरने के लिए 600 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रिजर्व रखा जाएगा. राजस्थान के जिन 21 जिलों को लाभ मिलेगा उनमें कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक शामिल हैं.

कार्य योजना: दो चरणों में होगा काम

  1. पहला चरण (चार साल में पूरा होगा)
    o नवनेरा बैराज से बीसलपुर और ईसरदा तक पानी लाया जाएगा.
    o रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज और मेज नदी पर पंपिंग स्टेशन बनाए जाएंगे.
  2. दूसरा चरण (प्लानिंग अंतिम चरण में)
    o दूसरे चरण में अन्य क्षेत्रों तक जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी.

जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट

केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी ने बताया कि PKC-ERCP प्रोजेक्ट को River Linking Project में शामिल किया गया है. यह परियोजना चंबल, पार्वती, कालीसिंध, बनास और बाणगंगा जैसी नदियों को जोड़ेगी. यह महत्वाकांक्षी परियोजना राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए जल संकट का समाधान बनने के साथ कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को भी बढ़ावा देगी.

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