Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने सुनवाई के दौरान खुद का अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे भी ऐसे एक संदिग्ध कॉल का शिकार होते-होते बचे। उन्होंने सतर्कता बरतते हुए तत्काल मोबाइल फोन रजिस्ट्रार को सौंप दिया, जिससे संभावित ठगी टल गई।

कोर्ट ने स्वत: लिया था संज्ञान
मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति मनीष शर्मा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने बताया कि जनवरी 2025 में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान (suo moto) लिया गया था, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
“सिर्फ धन नहीं, जान भी गई है लोगों की”
कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि साइबर फ्रॉड ने लोगों की जमापूंजी लूटी है, और कई पीड़ितों ने मानसिक दबाव में अपनी जान तक गंवाई है। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर सामाजिक खतरा मानते हुए सरकार को ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
RBI को भी दिए गए सख्त निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने भले ही कुछ कदम उठाए हों, लेकिन साइबर अपराधों की रफ्तार यह दिखाती है कि अब तक के प्रयास अपर्याप्त हैं। कोर्ट ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को निर्देश दिए कि वह धोखाधड़ी को रोकने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाए।
शिकायत निवारण तंत्र को बनाना होगा प्रभावी
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि आरबीआई और सरकार को अपनी शिकायत निवारण प्रणाली को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाना होगा। फर्जी कॉल्स, वेबसाइट्स और पोर्टल्स के जाल में फंसने से आमजन को बचाने के लिए एक सशक्त और तकनीकी रूप से सक्षम प्रणाली विकसित की जाए, ताकि लोगों की मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सके।
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