Rajasthan News: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने शनिवार को राजस्थान जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025 को मंजूरी दे दी। विधि विभाग की अधिसूचना जारी होते ही यह अध्यादेश लागू हो गया है। इसके तहत राज्य के 11 कानूनों में मामूली उल्लंघनों पर दी जाने वाली जेल की सजा समाप्त कर दी गई है। अब ऐसे मामलों में केवल जुर्माने का प्रावधान रहेगा।

सरकार का मानना है कि यह कदम प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को मजबूत करेगा। भजनलाल कैबिनेट ने 3 दिसंबर को इस अध्यादेश को स्वीकृति देकर राज्यपाल के पास भेजा था।
इंस्पेक्टर राज पर लगाम
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह पहल केंद्र सरकार के जन विश्वास अधिनियम-2023 की तर्ज पर की गई है। इसका उद्देश्य मुकदमेबाजी कम करना, छोटे उद्योगों को अनावश्यक जांच और भय से राहत देना और प्रक्रियागत चूक पर आपराधिक कार्रवाई से आम नागरिक को बचाना है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने साफ संकेत दिया है कि प्रदेश में अब सजा से ज्यादा भरोसे पर आधारित व्यवस्था बनेगी।
इन कानूनों में किए गए अहम बदलाव
- वन भूमि और ग्रामीण क्षेत्र
वन अधिनियम की धारा 26(1)(ए) के तहत वन क्षेत्र में अनजाने में मवेशी चराने पर जेल की सजा का प्रावधान था। अब कारावास हटाकर केवल जुर्माना और नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया है। इससे आदिवासी और ग्रामीण आबादी को सीधी राहत मिलेगी। - उद्योग और व्यापार
इंडस्ट्रियल यूनिट अधिनियम के तहत निरीक्षण के दौरान दस्तावेजों से जुड़ी छोटी प्रक्रियागत त्रुटियों पर जेल की सजा का प्रावधान समाप्त किया गया है। अब ऐसे मामलों में केवल जुर्माना लगेगा। इससे खासकर एमएसएमई सेक्टर को राहत मिलेगी। - शहरी जीवन और जल प्रबंधन
जयपुर जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड अधिनियम के तहत पानी की बर्बादी या बिना अनुमति कनेक्शन जैसे मामलों में जेल की सजा हटाई गई है। अब केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा, जिससे शहरी निवासियों को अनावश्यक आपराधिक कार्रवाई से बचाया जा सकेगा।
राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही राजस्थान जन विश्वास अध्यादेश लागू हो गया है। सरकार का कहना है कि यह सुधार दंड आधारित व्यवस्था से आगे बढ़कर अनुपालन और विश्वास पर टिके प्रशासन की दिशा में बड़ा कदम है, जिससे नागरिकों का जीवन आसान होगा और प्रदेश निवेश के लिए और अधिक अनुकूल बनेगा।
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