Rajasthan News: राजस्थान में अप्रचलित और अनुपयोगी कानूनों को खत्म करने के उद्देश्य से विधानसभा में पेश किया गया राजस्थान विधियां निरसन विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित हो गया। इस विधेयक के तहत प्रदेश में 45 पुराने और अप्रभावी कानूनों को समाप्त कर दिया गया।

सरकार का पक्ष: कानूनों की समय-समय पर समीक्षा होती है

बिल पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि “समय-समय पर अप्रचलित कानूनों को हटाने की प्रक्रिया चलती रही है।” उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भी 123 कानून निरस्त किए गए थे, जिनमें 100 संशोधन संबंधी कानून थे।

पटेल ने कहा कि इस बार 37 कानूनों को मूल कानून में ही समाहित कर दिया गया है, जबकि शेष 8 कानून पूरी तरह अनुपयोगी हो चुके थे। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार की प्राथमिकता जनता को कानूनी प्रक्रिया से लाभ पहुंचाना है, इसलिए समय-समय पर कानूनों की समीक्षा की जाती है।

उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 10 सितंबर 2024 को सभी प्रशासनिक विभागों से अप्रचलित और अप्रभावी कानूनों पर रिपोर्ट मांगी थी। प्राप्त जानकारी के आधार पर यह विधेयक लाया गया। इसके बाद विधेयक को सदन में पारित कर दिया गया।

विपक्ष का विरोध: विधेयक जल्दबाजी में लाया गया

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर सवाल उठाए कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने कहा कि “अभी भी कई ऐसे कानून हैं जो अनुपयोगी हैं, लेकिन उन्हें इस विधेयक में शामिल नहीं किया गया।” उन्होंने मांग की कि इस विधेयक को फिलहाल प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि और कानूनों की समीक्षा हो सके।

बिजली संकट पर चर्चा क्यों नहीं? विपक्ष का सवाल

कांग्रेस विधायक रफीक खान ने आपत्ति जताते हुए कहा, “इतने जरूरी कामकाज रोककर इस विधेयक पर चर्चा कराई जा रही है, जबकि हम बिजली संकट पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। सरकार बिजली के मुद्दे पर चर्चा से बच रही है और अनुपयोगी कानूनों पर चर्चा करा रही है।”

इस पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि “विधेयक से जुड़े मुद्दे पर ही चर्चा करें,” और अगले वक्ता का नाम पुकार लिया।

विधायकों को बिल पढ़ने का समय नहीं मिला: विपक्ष

विधायक रोहित बोहरा ने विधेयक को लेकर असहमति जताते हुए कहा, “हम इस बिल के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसकी कॉपी पहले से विधायकों को दी जाती तो हम इसे अच्छे से पढ़ सकते।”

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “ऐसे ही बिल लाकर समर्थन की उम्मीद करना सही नहीं है। विधायकों को पढ़ने और समझने का अवसर मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी राय बेहतर ढंग से रख सकें।”

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