Rajasthan News: रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने बिल्डर्स और डेवलपर्स को बड़ी राहत देते हुए तिमाही प्रोग्रेस रिपोर्ट (QPR) जमा न करने की पेनल्टी को अधिकतम 3 लाख रुपये तक सीमित कर दिया है। पहले इस पेनल्टी की कोई ऊपरी सीमा नहीं थी, जिसके कारण बिल्डर्स पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा था। रेरा ने इस साल 31 अक्टूबर तक लंबित QPR जमा करने वाले बिल्डर्स के लिए पेनल्टी को और कम कर 2 लाख रुपये तक कर दिया है, भले ही उनकी कुल पेनल्टी राशि इससे अधिक हो।

रेरा प्रबंधन के अनुसार, पेनल्टी की सीमा तय होने से बिल्डर्स पर वित्तीय दबाव कम होगा, जिससे वे समय पर रिपोर्ट जमा करने को प्रेरित होंगे। इससे खरीदारों का भरोसा बढ़ेगा और प्रोजेक्ट की पारदर्शिता में सुधार होगा।
ग्राहकों पर क्या होगा असर?
रेरा का कहना है कि इस कदम से बिल्डर्स नियमित रूप से प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट जमा करेंगे, जिससे खरीदारों को उनके घरों के निर्माण की स्थिति की सटीक और समय पर जानकारी मिल सकेगी। पहले कई बिल्डर्स भारी पेनल्टी के डर से QPR जमा नहीं कर रहे थे, जिससे ग्राहकों को प्रोजेक्ट की प्रगति का पता नहीं चल पा रहा था। अब पेनल्टी की सीमा तय होने से बिल्डर्स के लिए रिपोर्ट जमा करना आसान होगा, जिसका सीधा लाभ ग्राहकों को मिलेगा।
राहत के प्रमुख प्रावधान
पेनल्टी की नई व्यवस्था: QPR में देरी पर प्रति तिमाही 5,000 रुपये का प्रोसेसिंग चार्ज लगेगा, जो एक महीने के ग्रेस पीरियड के बाद लागू होगा। प्रत्येक अतिरिक्त तिमाही की देरी पर 5,000 रुपये और जुड़ेंगे, लेकिन कुल पेनल्टी 3 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।
सर्टिफिकेट के लिए शर्त
कम्प्लीशन सर्टिफिकेट, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट या मोरगेज फ्री लेटर के आवेदन तभी स्वीकार होंगे, जब बिल्डर लंबित QPR और पेनल्टी जमा करेगा। पहले से सर्टिफिकेट प्राप्त प्रोजेक्ट्स के लिए पेनल्टी की अधिकतम सीमा 1 लाख रुपये होगी।
सख्ती का प्रावधान
यदि कोई बिल्डर लगातार QPR जमा नहीं करता, तो सिस्टम स्वतः नॉन-कंप्लायंस प्रक्रिया शुरू करेगा और प्रोजेक्ट को लैप्स घोषित किया जा सकता है।
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