Rajasthan News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव और टोंक से विधायक सचिन पायलट ने मंगलवार को जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए भारत-पाक सीजफायर, IMF कर्ज, और अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल खड़े किए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीतिक स्थिति और सरकार की पारदर्शिता पर चिंता जताई।

सीजफायर पर अमेरिका की भूमिका पर सवाल

पायलट ने भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर को लेकर कहा कि “जैसे ही अमेरिका ने इसकी घोषणा की, पाकिस्तान ने तुरंत उसका उल्लंघन कर दिया।” उन्होंने इसे भारत की संप्रभुता के खिलाफ बताते हुए कहा कि भारत को ऐसे मामलों में अमेरिका को सख्त जवाब देना चाहिए।

पाकिस्तान को IMF कर्ज पर जताई चिंता

पायलट ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिया गया नया कर्ज और अमेरिका द्वारा व्यापार संबंधों के विस्तार की बात को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा क्या गारंटी है कि पाकिस्तान इस धन का दुरुपयोग नहीं करेगा या इसे फिर से आतंकवाद के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाएगा? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसे किन आश्वासनों के आधार पर चुप्पी साधे हुए है।

कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाना दुर्भाग्यपूर्ण

सचिन पायलट ने अमेरिका द्वारा कश्मीर पर दिए गए बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना भारत की विदेश नीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा अमेरिका ने कश्मीर को लेकर एक नया नैरेटिव गढ़ा है, जबकि भारत की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं आई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कश्मीर को अब अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया है। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था।

ट्रंप के बयानों पर तीखा पलटवार

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान की तुलना करने पर भी पायलट ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 11 गुना बड़ी है। पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है, जहां प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं और लोकतंत्र बेहद कमजोर स्थिति में है। आईएसआई और सेना मिलकर पाकिस्तान को चला रही हैं। ऐसे देश से तुलना करना नासमझी है।

सरकार बताए सौदे की पारदर्शिता’

पायलट ने सरकार से मांग की कि वह स्पष्ट करे कि भारत ने अमेरिका या IMF के दबाव में कोई समझौता तो नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के यह कहने कि सौदा व्यापार कारणों से हुआ, बेहद गंभीर टिप्पणी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसी टिप्पणियों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। सरकार को देश के लोगों को बताना चाहिए कि कोई समझौता डर या दबाव में नहीं हुआ है।

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