Rajasthan News: जयपुर. राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. हालांकि इन पर केवल सात उम्मीदवार भाजपा के चुनाव मैदान में होंगे, लेकिन नौ मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी इन चुनावों से जुड़ी हुई है. ये चुनाव उन जिलों या क्षेत्रों में हो रहे हैं, जिनसे ये मंत्री या तो संबंध रखते हैं या वहां उनका प्रभाव है. भाजपा इन उपचुनावों में इन मंत्रियों की भूमिका को जल्द ही औपचारिक रूप से तय करेगी. इनमें से कई मंत्रियों को पहले ही जिम्मेदारियां सौंपी जा चुकी हैं.
भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट, सलूम्बर, पर जीत हासिल की थी. बाकी छह सीटों पर कांग्रेस, आरएलपी, और बीएपी का कब्जा है. चूंकि अब भाजपा सत्ता में है, इसलिए इन उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए मंत्रियों की सक्रिय भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है. उनकी भागीदारी आगामी प्रदर्शन में भी गिनी जाएगी.
झुंझुनूं
इस सीट से कांग्रेस के ब्रजेन्द्र ओला विधायक थे, जो अब सांसद बन गए हैं. शेखावाटी क्षेत्र में सरकार के दो मंत्री, यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खरा (श्रीमाधोपुर) और राज्यमंत्री विजय सिंह (नांवा), हैं. झुंझुनूं सीट जाट बाहुल्य क्षेत्र है, इसलिए इन मंत्रियों को चुनाव जीतने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
खींवसर
चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह लोहावट से विधायक हैं, लेकिन खींवसर विधानसभा क्षेत्र पर उनकी अच्छी पकड़ है. यहां के समीकरणों से वे अच्छी तरह वाकिफ हैं, और इस सीट पर जीत की रणनीति में उनकी भूमिका अहम होगी.
चौरासी और सलूम्बर
ये दोनों सीटें उदयपुर संभाग में आती हैं. चौरासी (डूंगरपुर) और सलूम्बर (उदयपुर) दोनों आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं. यहां के तीन मंत्री, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा, सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक, और टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, इन क्षेत्रों में चुनावी मोर्चा संभाल सकते हैं.
दौसा
दौसा विधानसभा सीट पर मीणा, गुर्जर, और एससी वर्ग का वोट बैंक है. कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा यहां गहरी पकड़ रखते हैं और अपने भाई जगमोहन मीणा के लिए टिकट की मांग भी कर रहे हैं. पार्टी इन्हें जीत की जिम्मेदारी देकर मैदान में उतार सकती है.
देवली-उनियारा
यह सीट टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में है. यहां भी किरोड़ीलाल मीणा का खासा प्रभाव है. मीणा वोटबैंक की बहुलता के चलते उनकी जिम्मेदारी बड़ी होगी. इसके अलावा, टोंक के मालपुरा विधानसभा क्षेत्र से जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को भी चुनावी जिम्मेदारी दी जाएगी.
रामगढ़
अलवर जिले की इस सीट पर वन मंत्री संजय शर्मा की मुख्य भूमिका रहेगी. वे पहले अलवर जिले के पार्टी जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और अब सरकार में प्रमुख चेहरे हैं. उनकी भूमिका जीत की रणनीति और फील्ड में सक्रियता के लिए अहम होगी.
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