Rajasthan News: जोधपुर के बासनी थाने में मादक पदार्थ की तस्करी के एक मामले में आरोपी को छोड़ने के एवज में 35 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी को लेकर जोधपुर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति फरजंद अली ने सोमवार को इस मामले में तत्कालीन बासनी और वर्तमान विवेक विहार थानाधिकारी जितेंद्र सिंह और हेड कांस्टेबल स्वरूपराम विश्नोई को निलंबित करने के निर्देश दिए।

सीबीआई जांच की मांग
अधिवक्ता शिवप्रकाश भाटी ने बताया कि कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से करवाने की इच्छा जताई है। इसके अलावा, कोर्ट ने शास्त्रीनगर थानाधिकारी देवेंद्र सिंह देवड़ा और बासनी थानाधिकारी मो. शफीक खान की भूमिका पर भी संदेह जताते हुए उनकी जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस जारी करते हुए आगामी सुनवाई 17 अक्टूबर को रखी है।
एसीबी और पुलिस कमिश्नर जांच पर सवाल
कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और पुलिस कमिश्नर की जांच पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों और एसीबी के बीच मिलीभगत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि ऐसा प्रतीत भी होना चाहिए कि न्याय हुआ है। इसलिए इस मामले की सीबीआई से जांच की संभावना पर विचार किया जा रहा है।
प्रथम दृष्टया सबूतों की अनदेखी
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय द्वारा दी गई जांच पर भी टिप्पणी की। याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के बावजूद आरोपी पुलिस अधिकारियों से स्पष्टीकरण तक नहीं मांगा गया। कोर्ट ने एसीबी की जांच पर भी असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जांच बंद करने की तैयारी चल रही है, लेकिन आदेश जारी नहीं हुए हैं, और मामले से जुड़े पर्याप्त तथ्य नहीं जुटाए गए हैं।
पुलिस पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने आदेश में कहा कि पुलिस का काम आरोपियों की अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करना है, न कि उनसे रिश्वत लेकर उन्हें छोड़ना। यदि पुलिस अधिकारी ऐसे कार्यों में संलिप्त पाए जाते हैं, तो समाज का कानून व्यवस्था पर विश्वास समाप्त हो जाएगा।
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