Rajasthan News: राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल में एक बार फिर आग लगने की घटना ने सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले डेढ़ साल में अस्पताल के अलग-अलग विभागों और वार्डों में 16 बार आग लग चुकी है, लेकिन अब तक किसी एक मामले में भी जिम्मेदारी तय नहीं हुई।

हर बार हादसे के बाद जांच कमेटी बनाई गई, लेकिन न रिपोर्टें सार्वजनिक हुईं, न उन पर कोई कार्रवाई। अस्पताल प्रशासन हर बार औपचारिक जांच का आदेश देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देता है। सवाल यह है कि जब किसी जांच का नतीजा ही नहीं निकलता, तो इन कमेटियों का मतलब क्या रह जाता है?
ऑपरेशन थिएटर, फैकल्टी रूम, स्टोर, डॉरमेट्री, ओपीडी, कैंटीन, आईसीयू और जनरल वार्ड लगभग हर अहम हिस्से में बार-बार आग लगी। कई बार मरीजों को तुरंत दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा, जिससे अस्पताल में अफरातफरी मच गई। बेसमेंट, स्ट्रेचर रूम और पुरानी लैब जैसे संवेदनशील स्थानों पर भी आग लगने से साफ है कि फायर सेफ्टी सिस्टम नाकाफी है। अधिकतर मामलों में कारण शॉर्ट सर्किट ही बताया गया।
हर घटना के बाद अधिकारी जांच के आदेश जरूर देते हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन लगभग शून्य है। न जिम्मेदारी तय होती है, न दोषियों पर कोई कार्रवाई। अस्पताल में आने वाले हज़ारों मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है।
हर आग के बाद उठने वाली चेतावनियों को लगातार नज़रअंदाज किया गया है। ट्रॉमा सेंटर की आईसीयू में जान गंवाने वाले मरीज इस लापरवाही की सबसे बड़ी याद दिलाते हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या किसी हादसे में और जानें जाने के बाद ही सिस्टम जागेगा?
पढ़ें ये खबरें
- साहित्य उत्सव के आयोजन के लिए सलाहकार समिति का गठन, जानिए कौन-कौन हैं शामिल…
- IAS संतोष वर्मा पर गिरी गाज: कृषि विभाग से हटाकर GAD पूल में किया अटैच, CM डॉ मोहन के निर्देश पर जीएडी केंद्र को भेजेगा बर्खास्तगी का प्रस्ताव
- मौत निगल गई ‘मासूम जिंदगी’: मूंगफली 4 साल की बच्ची के लिए बनी काल, हंसते-खेलते चली गई मासूम की जान
- बड़ी खबर : हावड़ा–मुंबई एक्सप्रेस में मानव तस्करी का पर्दाफाश, रायपुर स्टेशन पर ट्रेन से 6 नाबालिग बच्चे बरामद, एक तस्कर गिरफ्तार
- बाइक सवार सेना के जवानों को तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने मारी टक्कर, जवान गंभीर घायल, कार चालक मौके से फरार



