Rajasthan News: जयपुर. हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि बुजुर्गों की देखभाल नहीं करने वाले या परेशान करने वाले बेटे-बहू सहित किसी भी रिश्तेदार को उनकी संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि इस बारे में एसडीओ स्तर के ट्रिब्यूनल को आदेश देने का अधिकार है.

मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह व न्यायाधीश समीर जैन की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से 12 सितंबर 2019 को भेजे गए रेफरेंस पर यह व्यवस्था दी है. खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में संपत्ति से बेदखली का आदेश देना या नहीं देना वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण संबंधी मामलों की सुनवाई करने वाले ट्रिब्यूनल का विवेकाधिकार है. एकलपीठ ने चार साल पहले ओमप्रकाश बनाम मनभरी देवी मामले में खंडपीठ से दिशानिर्देश चाहा था कि वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण संबंधी कानून के अंतर्गत एसडीओ कोर्ट को बुजुर्ग की संपत्ति पर जन्म या शादी के जरिए अधिकार प्राप्त व्यक्तियों को बेदखल करने का अधिकार है या नहीं?

एसडीओ कोर्ट ने दिया था बेदखली का आदेश

ओमप्रकाश के नाना के कोई बेटा नहीं था, दो बेटियां ही थीं. ओमप्रकाश जन्म से ही नानी के पास रहता था. नानी ने उसे अपनी संपत्ति से बेदखली के लिए वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण संबंधी कानून के अंतर्गत एसडीओ कोर्ट में परिवाद दायर किया. एसडीओ कोर्ट ने 2017 में ओमप्रकाश को नानी की संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दिया था.इसके खिलाफ मामला हाईकोर्ट पहुंचा था.

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