
Rajasthan News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि समाज के अन्य वर्गों के लोग आदिवासी समाज से बहुत कुछ सीख सकते हैं। जनजातीय समुदायों ने स्वशासन के अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर प्रसन्नतापूर्वक कैसे जीवन जिया जाता है यह आदिवासी समाज से सीखा जा सकता है। आदिवासी समाज से हम प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना न्यूनतम संसाधनों में बेहतर जीवन जीना भी सीख सकते हैं। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में भी आदिवासी समाज ने देश को दिशा दिखाई है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बुधवार को असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया एवं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम में आयोजित ’’लखपति दीदी सम्मेलन’’ को संबोधित कर रही थी। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं को नेतृत्व प्रदान करते हुए विकास की अवधारणा को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए पूरे समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने महिलाओं में शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा दिए जाने पर बल दिया जिससे महिलाएं देश और दुनिया की प्रगति में बराबर की भागीदार बन सकें।
उन्होंने विश्वास जताया कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सफलता के बल पर ही भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। हमारा देश तभी आत्मनिर्भर हो सकता है, जब हमारी हर इकाई आत्मनिर्भर होगी। उन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों और उससे जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की कि स्वयं सहायता समूह अपनी सदस्यों को कार्यशील पूंजी प्रदान करने के साथ-साथ मानव पूंजी और सामाजिक पूंजी के निर्माण में भी सराहनीय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर में 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। उनके संकल्प को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार ने प्रदेश की 11 लाख 27 हजार महिलाओं को अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध रूप से लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि इनमें 2.80 लाख महिलाएं लखपति दीदी की श्रेणी में आ भी चुकी हैं।
सीएम ने कहा कि राजस्थान की नारी साहस और बलिदान का प्रतीक रही हैं। पन्नाधाय ने अपने बेटे का बलिदान देकर मिसाल कायम की थी। कालीबाई भील ने भी अपने गुरु के लिए प्राणों का बलिदान दिया था। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की पहल पर लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान करने के लिए संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है। इससे लोकतंत्र में महिलाओं की पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित होगी।
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