Rajasthan News: राजस्थान में कैब चालकों की हड़ताल अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है। निजी कैब एग्रीगेटर्स से जुड़े हजारों ड्राइवरों की हड़ताल शनिवार को लगातार पांचवें दिन भी जारी रही। जयपुर समेत कई शहरों में राइड सर्विस ठप पड़ी है और स्थिति सामान्य होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे। इस बीच, ‘सारथी संघर्ष समिति’ के नेतृत्व में कैब चालकों ने अब आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है।

शनिवार को जयपुर प्रेस क्लब में संघर्ष समिति की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक के बाद समिति ने स्पष्ट कर दिया कि अब अगला कदम सड़क पर उतरकर चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन का होगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि हड़ताल के पांच दिन बीतने के बाद भी ना तो राज्य सरकार ने संवाद की कोशिश की और ना ही कंपनियों ने कोई प्रतिक्रिया दी है। कैब चालकों ने कहा कि हमने स्पष्ट अल्टीमेटम दिया था, जो अब समाप्त हो चुका है। यदि राज्य सरकार गीग वर्कर्स कानून को सही ढंग से लागू कर देती, तो आज हमें यह कदम नहीं उठाना पड़ता।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्दी विचार नहीं किया गया, तो राजधानी जयपुर में व्यापक स्तर पर चक्काजाम और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। समिति ने कहा, हम जनता को होने वाली परेशानी से अवगत हैं, लेकिन हम कैब की किश्तें नहीं चुका पा रहे, रोज़गार ठप है, पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में मजबूरी में आंदोलन तेज करना हमारा आखिरी रास्ता है।
कैब चालकों की पांच प्रमुख मांगें क्या हैं?
- न्यूनतम किराया तय किया जाए: ताकि गाड़ी मालिकों को लगातार घाटा ना उठाना पड़े।
- गीग वर्कर्स कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए: ताकि ड्राइवरों को अधिकार और सुरक्षा मिले।
- कंपनियों द्वारा तय की जाने वाली मनमानी कमिशन दरों पर रोक लगाई जाए: वर्तमान में कंपनियां 25% से 35% तक का कमीशन काट रही हैं, जिससे ड्राइवरों की आय अत्यंत सीमित रह जाती है।
- ट्रिप पेमेंट में पारदर्शिता लाई जाए: ड्राइवरों को भुगतान की प्रक्रिया और वास्तविक किराए की जानकारी मिले।
- ड्राइवरों को सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाएं: बीमा, पीएफ, मेडिकल और दुर्घटना सुरक्षा जैसे लाभ अनिवार्य किए जाएं।
कैब चालकों ने राज्य सरकार की चुप्पी को अनुत्तरदायी और असंवेदनशील बताया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह गीग वर्कर्स के लिए बने कानून को जमीन पर उतारे और निजी कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाए।
प्रदर्शनकारी ड्राइवरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो वे विधानसभा का घेराव, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट के आसपास प्रदर्शन जैसी कार्रवाइयों पर भी विचार करेंगे।
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