Rajasthan News: पूर्वी राजस्थान के जन और जमीन की प्यास बुझाने वाले एकीकृत ईआरसीपी परियोजना के एमओयू के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शनिवार को आमजन से रूबरू होने उनके बीच पहुंचे। अलवर, डीग और भरतपुर जिलों में जगह-जगह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर फूल बरसाकर, मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने बड़ौदामेव, नगर, डीग और भरतपुर में जनसभाओं को सम्बोधित किया और लोगों को ईआरसीपी परियोजना से उनके क्षेत्र को होने वाले फायदों के बारे में जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को ईआरसीपी की सौगात देने का वादा किया था और सरकार बनने के डेढ़ महीने के अन्दर ही ईआरसीपी परियोजना के लिए केन्द्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार के साथ बात कर यह एमओयू किया। हमने धरातल पर तेजी से काम करते हुए इस परियोजना को पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने ईआरसीपी को लटकाने-अटकाने और भटकाने का ही काम किया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 से 2018 में हमारी सरकार ने जल संरक्षण एवं संग्रहण को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की शुरूआत की थी। इसे आगे बढ़ाते हुए हमने बजट में 11 हजार 200 करोड़ रुपये का प्रावधान करते हुए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान 2.0 शुरू किया है। इसके तहत आगामी 4 वर्षों में 20 हजार गांवों में 5 लाख जल संग्रहण ढांचे बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीकर, चूरू और झुंझुनूं को यमुना नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए ताजेवाला से प्रवाह प्रणाली के क्रम में केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार और राजस्थान सरकार के बीच एमओयू हुआ है। इससे इन तीनों जिलों की जल आवश्यकता की पूर्ति सुनिश्चित होगी।
अलवर के 3, भरतपुर के 5 बांधों में आएगा पानी
मुख्यमंत्री ने आभार सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस परियोजना से अलवर जिले के जयसमंद बांध, घाट पिकअप वियर और धमरेण बांध को पानी मिलेगा। इससे करीब 5 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी तथा लगभग 20 हजार किसानों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से भरतपुर जिले के कुल 5 बांधों बंध बारेठा, अजान लोअर, अजान अपर, लालपुर और भटावाली में पानी लाया जाएगा। इससे करीब 14 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होगी तथा लगभग 56 हजार किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही, बंध बारेठा बांध से ऐतिहासिक महत्व की सुजानगंगा में भी पानी डाला जाएगा।
ईआरसीपी परियोजना में केन्द्र की होगी 90 प्रतिशत हिस्सेदारी
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की दूरदर्शी सोच के अनुरूप मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना के बाद देश की यह दूसरी नदी लिंक परियोजना है। इसमें पार्वती-कालीसिंध-चम्बल नदी के साथ ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) को एकीकृत करते हुए लिंक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर राजस्थान में करीब 45 हजार करोड़ और मध्यप्रदेश में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। एकीकृत ईआरसीपी आजादी के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी नहर परियोजना होगी जिसमें प्रदेश के नये जिलों सहित कुल 21 जिलों की साढ़े 3 करोड़ आबादी को अगले 5 दशक तक पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, इससे प्रदेश के पूर्वी हिस्से में 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
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