Rajasthan News: राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खुले सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों की समीक्षा की जाएगी और केवल वे स्कूल जारी रहेंगे, जो जनहित और आवश्यकता के अनुरूप पाए जाएंगे। पटेल ने कहा, “समीक्षा करने का मतलब किसी चीज को बंद करना नहीं होता।”

शिकायतों पर होगी कार्रवाई

मंत्री पटेल ने कहा कि कई स्कूलों को लेकर शिकायतें आई थीं कि वे केवल अंग्रेजी माध्यम का बोर्ड लगाकर चलाए जा रहे हैं, जबकि न वहां अंग्रेजी शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और न ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई हो रही है। उन्होंने बताया कि समीक्षा के दौरान कुछ ऐसे स्कूल भी पाए गए हैं, जहां एक भी अंग्रेजी शिक्षक नियुक्त नहीं है।

जरूरत के मुताबिक खुलेंगे या बंद होंगे स्कूल

पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार क्षेत्रवाद की राजनीति नहीं करती। उन्होंने स्पष्ट किया कि जहां अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की जरूरत होगी, वे बंद नहीं किए जाएंगे। हालांकि, जहां नए छात्रों का दाखिला नहीं हो रहा और अभिभावक हिंदी माध्यम की मांग कर रहे हैं, वहां की स्थिति पर अलग विचार किया जाएगा।

कांग्रेस का भाजपा पर हमला

इस मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा से वंचित करना चाहती है। जूली ने कहा, “भाजपा नेताओं के 90% बच्चे महंगे स्कूलों या विदेशों में पढ़ते हैं। गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करने से रोकना, प्रदेश को पीछे धकेलने का प्रयास है।”

भाजपा ने बनाई समीक्षा कमेटी

भाजपा सरकार ने अशोक गहलोत सरकार द्वारा खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस पर कांग्रेस ने इसे निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने का हथकंडा बताया। फिलहाल सरकार ने साफ कर दिया है कि जहां आवश्यक होगा, वहां अंग्रेजी माध्यम स्कूल जारी रहेंगे। लेकिन जो स्कूल सिर्फ दिखावा कर रहे हैं या जिनकी जरूरत नहीं है, उन पर कार्रवाई की जाएगी। बता दें यह मामला राजस्थान की राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और इसे लेकर दोनों दलों में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।

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