Rajasthan Politics: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान रविवार शाम थम गया। मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प हो गया है क्योंकि निर्दलीय नरेश मीणा के उतरने से बीजेपी और कांग्रेस दोनों की रणनीति चुनौती में पड़ गई है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को अजीतपुरा बालाजी से लेकर ब्रह्मपुरी बालाजी तक रोड शो किया। उन्होंने भीड़ से कहा, जो लोग आज पैसे बांट रहे हैं, वही कल जनता का गला काट रहे थे। अंता की जनता ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगी।
रोड शो में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद थे। राजे ने कहा कि यह लड़ाई जनबल बनाम धनबल की है जनता की ताकत जीतने वाली है।

कांग्रेस ने भी आखिरी दिन पूरा जोर लगाया। मांगरोल में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने संयुक्त जनसभा की। गहलोत ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ जीत-हार का नहीं बल्कि जनता तक राहत पहुंचाने वाले कामों को जारी रखने का है।

अंता सीट पर भाजपा से मोरपाल सुमन, कांग्रेस से प्रमोद जैन भाया और निर्दलीय नरेश मीणा आमने-सामने हैं। यह सीट भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई थी। बताया जा रहा है कि मोरपाल सुमन वसुंधरा राजे की पसंद हैं, जबकि नरेश मीणा के उतरने से समीकरण जटिल हो गए हैं।

यह उपचुनाव भाजपा के लिए संगठनात्मक एकता की बड़ी परीक्षा माना जा रहा है। अगर जीत मिलती है, तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व की स्वीकार्यता और मजबूत होगी और पार्टी का हाड़ौती में प्रभाव भी पुख्ता होगा। वहीं, कांग्रेस के लिए भाया की जीत गहलोत की लोककल्याणकारी राजनीति पर जनता के भरोसे की पुष्टि मानी जाएगी।

अंता सीट पर मीणा समाज का प्रभाव निर्णायक है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नरेश मीणा की बढ़ती पकड़ ने दोनों दलों को परेशान कर रखा है। हाड़ौती का यह इलाका हर चुनाव में अपना रुख बदलता रहा है कांग्रेस ने 2008 और 2018 में तो भाजपा ने 2013 और 2023 में यह सीट जीती थी। इस बार का परिणाम न सिर्फ स्थानीय समीकरण बल्कि दोनों दलों के भीतर की एकता और भरोसे की भी परीक्षा है।

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