Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में एक नई सियासी बहस जोर पकड़ती जा रही है, कांग्रेस की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के पांच साल बनाम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के 18 महीनों का कार्यकाल। शेरगढ़ दौरे के दौरान मुख्यमंत्री शर्मा ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियों का ज़िक्र किया और पूर्ववर्ती सरकार की तुलना में अपनी सरकार के कार्यों को कहीं अधिक प्रभावशाली बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने डेढ़ साल में वह कर दिखाया है, जिसे पूरा करने में पिछली सरकार पांच साल तक जूझती रही। उन्होंने दावा किया कि उनकी नीतियों और योजनाओं का सीधा लाभ गांव, किसान और युवा को मिला है। जनसभा में उन्होंने विस्तार से आंकड़े गिनाते हुए बताया कि राजस्थान की तस्वीर कैसे बदली है।

शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों के लिए जल संरक्षण को प्राथमिकता दी, सड़क और बिजली के क्षेत्र में तेज़ी से काम किया और युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के नए अवसर पैदा किए। उनका यह भी आरोप था कि कांग्रेस सरकार ने योजनाओं का सिर्फ राजनीतिक उपयोग किया, ज़मीन पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।

हालांकि मुख्यमंत्री के इन दावों पर कांग्रेस की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही भाजपा सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि केवल आंकड़ों से जनता को राहत नहीं मिलती, असल काम धरातल पर नजर आना चाहिए।

जैसे-जैसे राज्य में निकाय और पंचायत चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, यह आंकड़ों की लड़ाई अब राजनीतिक विमर्श का केंद्रीय विषय बनती जा रही है। एक ओर भाजपा अपनी सरकार के 18 महीने को सुशासन का मॉडल बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे अतिशयोक्ति और अधूरी हकीकत करार दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकता है, क्योंकि दोनों ही दल इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच सीधी लड़ाई की तैयारी में हैं।

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