Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस के 50 जिलाध्यक्षों के चयन का काम निर्णायक चरण में पहुंच गया है। पार्टी आलाकमान के निर्देश पर चल रही रायशुमारी का अधिकांश काम पूरा हो चुका है। दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक हर जिले में 6-6 नामों का पैनल अंतिम रूप दे रहे हैं, जबकि 30 केंद्रीय पर्यवेक्षक अंतिम दौर की रायशुमारी में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में किसी सांसद, विधायक या कद्दावर नेता की सिफारिश को नहीं माना जाएगा। इस फैसले के बाद प्रदेश के कई नेताओं की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि पहले जिला स्तर पर नियुक्तियों में राजनीतिक सिफारिशें और जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते रहे हैं।
केंद्रीय पर्यवेक्षक हर जिले में कम से कम सात दिन रहकर कार्यकर्ताओं, प्रबुद्धजनों और स्थानीय नागरिकों से संवाद कर रहे हैं। इसके बाद वे छह नामों की अनुशंसा अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय नेतृत्व को भेजेंगे। रिपोर्ट मिलने के बाद ही प्रदेश में जिलाध्यक्षों की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
आलाकमान का कहना है कि पार्टी में नई ऊर्जा भरने की शुरुआत जिलाध्यक्षों से की जा रही है। इसी उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस कमेटी और केंद्रीय पर्यवेक्षक मिलकर चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और सहभागी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
राहुल गांधी के नए फॉर्मूले के तहत इस बार जिलाध्यक्षों को संगठन में अधिक शक्ति दी जाएगी। उन्हें पार्टी की मजबूत कड़ी के रूप में तैयार किया जाएगा ताकि उनकी राय सीधे हाईकमान तक पहुंच सके। भविष्य में लोकसभा और विधानसभा प्रत्याशियों के चयन में भी जिलाध्यक्षों की राय महत्वपूर्ण मानी जाएगी। यह पहल उन्हें पार्टी की रणनीति में केंद्रीय भूमिका देने और संगठन की रीढ़ बनाने की दिशा में है।
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