Rajasthan Politics: देवली-उनियारा हिंसा मामले में, जहां निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था, एक नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है। इस घटना के बाद मीणा समाज और जाट समाज के बीच तनाव बढ़ गया है, जिसमें सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर दोनों समुदाय अपने पक्ष में दलीलें दे रहे हैं। इस बीच, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सुप्रीमो और जाट समाज के प्रमुख नेता हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पुलिस कार्रवाई को गलत ठहराया
हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर इस हिंसा प्रकरण पर सरकार की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा, “टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में मतदान दिवस के दिन जो कुछ हुआ, वह सभी के सामने है। लेकिन समरावता गांव में पुलिस ने जो अमानवीय बर्ताव किया और गलत गिरफ्तारियां कीं, वह उचित नहीं हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने मामले को बढ़ावा देकर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इसे तूल दिया और निर्दोष ग्रामीणों को गिरफ्तार किया।
ग्रामीणों की तत्काल रिहाई की मांग
बेनीवाल ने राजस्थान सरकार से मांग की कि जिन ग्रामीणों को बिना कारण गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि टोंक जिले में जो भय का माहौल बना है, उसे खत्म करने के लिए सरकार को एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां के मंत्री की बातों में विश्वास की बजाय राजनीति की झलक थी, जो ग्रामीणों के लिए और भी परेशानी का कारण बनी।
मीणा समाज के समर्थन में बयान
हनुमान बेनीवाल ने अपने पोस्ट में किसी विशेष समाज का पक्ष तो नहीं लिया, लेकिन समरावता गांव में हुई गिरफ्तारियों को गलत करार देते हुए मीणा समाज की मांग को जायज बताया। इस पर एक यूजर, राजेंद्र मीणा ने कमेंट किया और कहा, “नरेश का एसडीएम को थप्पड़ मारना गलत था, लेकिन जिस तरह जाट समाज और हनुमान बेनीवाल ने समरावता पुलिस हिंसा प्रकरण में आदिवासी मीणा समाज का समर्थन किया, मीणा समाज बहुत आभारी है।”
समरावता में अब भी हिंसा के निशान
हादसे के बाद समरावता गांव में हिंसा के सबूत अब भी मौजूद हैं। आगजनी, पथराव और पुलिस कार्रवाई के बाद कई घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, घटना के तीन दिन बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है। समरावता की महिलाएं बताते हुए कहती हैं कि, “हमने पुलिस को चाय भी पिलाई, लेकिन उन्होंने बच्चों तक को नहीं छोड़ा।”
यह मामला अब राजस्थान की सियासत में एक नया मोड़ ले चुका है, जिसमें विभिन्न समुदायों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है।
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