Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र राजनीतिक खींचतान की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। 21 फरवरी को विधानसभा में विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी मंत्री अविनाश गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर टिप्पणी कर दी। इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई और मंत्री से माफी की मांग की। हालांकि, विवाद यहीं नहीं थमा और अब मुद्दा गोविंद सिंह डोटासरा की कथित टिप्पणी तक पहुंच गया है। सत्ता पक्ष डोटासरा से माफी मांगने की मांग कर रहा है, जबकि विपक्ष अविनाश गहलोत से माफी की जिद पर अड़ा है।

21 फरवरी को क्या हुआ था?
21 फरवरी को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत अपने जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस अधिकतर योजनाओं का नाम “आपकी दादी” के नाम पर रख देती थी। इस बयान से कांग्रेस नेता भड़क उठे और इसे अमर्यादित बताते हुए मंत्री से माफी की मांग करने लगे। हंगामे के दौरान गोविंद सिंह डोटासरा सहित कुछ विधायक विधानसभा सचिव की टेबल तक पहुंच गए, जिसके चलते छह विधायकों को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद विवाद और गहरा गया।
कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
विधायकों के निलंबन और मंत्री के बयान को लेकर कांग्रेस का विरोध सदन से सड़क तक पहुंच गया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव किया और पूरे प्रदेश में प्रदर्शन शुरू कर दिया। समझौते की कई कोशिशें हुईं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से मामला और उलझता गया। विपक्ष ने मंत्री के बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई।
डोटासरा की टिप्पणी से नया मोड़
इस बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया जब गोविंद सिंह डोटासरा की एक कथित टिप्पणी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भावुक हो गए। सत्ता पक्ष ने इसे लेकर जोरदार हंगामा किया, जिससे बहस का केंद्र अब डोटासरा बन गए हैं। वहीं, डोटासरा ने सरकार से अपने बयान का वीडियो प्रमाण देने की मांग की और कहा कि किसी अखबार में छपी खबर के आधार पर अध्यक्ष का भावुक होना उन्हें आहत कर गया है। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मिलकर खेद प्रकट करने की बात कही।
सत्र के भविष्य पर सवाल
इस गतिरोध के चलते विधानसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार सदन को चलाना ही नहीं चाहती, जबकि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सत्र को फिर से शुरू करने की मांग की है। अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती है और बजट सत्र सुचारू रूप से आगे बढ़ पाएगा या नहीं।
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