Rajasthan Politics: अंता विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने हाड़ौती की राजनीति का संतुलन एक बार फिर बदल दिया है। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने बड़ी जीत हासिल कर न सिर्फ अपना प्रभाव दोबारा स्थापित किया, बल्कि पार्टी को पंचायत और निकाय चुनावों से पहले मजबूत मनोबल भी दिया।

दूसरी तरफ बीजेपी के लिए यह नतीजा बड़ा झटका बना, खासकर इसलिए क्योंकि प्रचार की कमान खुद वसुंधरा राजे ने संभाली थी और उनकी झालावाड़ टीम ने पूरा दम लगाया था। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी यहां पूरी ताकत झोंकी, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं जा सके।
टिकट चयन बना बीजेपी की मुश्किल
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी अगर कंवरपाल मीणा के परिवार या प्रभुलाल सैनी को टिकट देती तो मुकाबला अलग रूप ले सकता था। टिकट चयन से असंतोष पैदा हुआ और पार्टी का परंपरागत वोट बैंक खिसक गया। इस बीच निर्दलीय नरेश मीणा ने 53 हजार से अधिक वोट लेकर बीजेपी के वोटों में सीधी सेंध लगा दी। नतीजतन मोरपाल सुमन का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा।
हार का असर नियुक्तियों तक पहुंचेगा
अंता में हार सिर्फ एक सीट का मामला नहीं है। माना जा रहा है कि इसका असर मंत्रिमंडल विस्तार, फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों तक दिखाई दे सकता है। जीत की स्थिति में वसुंधरा राजे गुट की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद थी, लेकिन नतीजों ने उनकी बार्गेनिंग पावर को सीमित कर दिया है।
सट्टा बाजार और राजनीतिक अनुमान दोनों गलत
उपचुनाव ने राजनीतिक पंडितों और सट्टा बाजार की भविष्यवाणियों को उलट दिया। दो दिन पहले फलौदी के सट्टा बाजार में प्रमोद भाया को तीसरे स्थान पर बताया जा रहा था, जबकि भारी मतदान और महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी ने मुकाबले की दिशा ही बदल दी। भाया की पिछले वर्षों में बढ़ती सामाजिक सक्रियता गौशाला, सामूहिक विवाह और धार्मिक आयोजन ने उन्हें मजबूत स्थानीय समर्थन दिलाया।
कांग्रेस ने दिखाई पूरी सामूहिक ताकत
कांग्रेस ने इस चुनाव को संगठनात्मक क्षमता का पूरा प्रदर्शन बना दिया। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पंचायत स्तर तक चुनाव की मॉनिटरिंग की। सचिन पायलट रोड शो में उतरे, विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने घर-घर जाकर समर्थन मांगा। अशोक गहलोत की सक्रियता ने माली समाज के वोट बीजेपी की ओर जाने से रोके। प्रभारी अशोक चांदना का प्रबंधन भी बेहद प्रभावी माना गया।
बीजेपी का भ्रष्टाचार वाला हमला नहीं चला
बीजेपी ने प्रमोद भाया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप को प्रमुख मुद्दा बनाया, लेकिन यह मतदाताओं पर असर नहीं डाल सका। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए सवाल उठाया कि अगर आरोप सच हैं तो सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। दूसरी तरफ भाया ने नरेश मीणा को बीजेपी की बी टीम बताकर अपनी पोजिशन को और मजबूत किया।
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