Rajasthan Politics: राजस्थान में बीजेपी सरकार बनने के 15 महीने बाद भी कई बोर्ड और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां लंबित हैं। पार्टी के भीतर भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो रही है। इस संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने शुक्रवार (21 मार्च) को विधानसभा में जवाब दिया।

उन्होंने कहा, “पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए 36 बोर्ड और आयोग गठित किए थे। इनमें से कई में जल्दबाजी में नियुक्तियां की गईं, जबकि कई पद खाली रह गए।”

कांग्रेस सरकार के फैसलों पर पहले भी उठे थे सवाल

पिछली कांग्रेस सरकार ने 2022-23 में कई नए बोर्ड और आयोगों की घोषणा की थी, लेकिन कई पद रिक्त रह गए। चुनाव से छह महीने पहले ही 26 नए बोर्ड बनाए गए थे, जिनमें से केवल 17 बोर्ड और आयोगों में ही पदाधिकारी नियुक्त किए गए, जबकि बाकी खाली रहे। इस जल्दबाजी को लेकर गहलोत सरकार के फैसलों पर सवाल उठे थे। अब बीजेपी सरकार से भी इन नियुक्तियों को लेकर सवाल किया गया, जिस पर सरकार की ओर से जवाब दिया गया।

नियुक्ति सरकार का नीतिगत निर्णय- मंत्री

मंत्री अविनाश गहलोत ने विधानसभा में स्पष्ट किया, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के तहत राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास आयोग और देवनारायण बोर्ड में अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। अन्य बोर्डों में नियुक्ति सरकार का नीतिगत निर्णय है।

इसके अलावा, प्रश्नकाल के दौरान विधायक के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए मंत्री ने बताया कि राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास आयोग और देवनारायण बोर्ड को आवश्यक बजट उपलब्ध कराया गया है। हालांकि, अन्य बोर्डों में नियुक्तियों को लेकर अभी कोई ठोस समयसीमा तय नहीं की गई है।

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