Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की दया याचिका को लेकर उठा विवाद अब नया मोड़ लेता दिख रहा है। एक तरफ जहां राज्यपाल के समक्ष दया याचिका लंबित है, वहीं दूसरी ओर झालावाड़ पुलिस अधीक्षक ने मनोहर थाना और अकलेरा थानों से मामले में राय मांगी है। इस प्रक्रिया से जुड़े पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला है।

टीकाराम जूली का आरोप, सजा माफी का रास्ता भाजपा के लिए ही क्यों?
पूर्व मंत्री टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि भाजपा अपने बर्खास्त विधायक को बचाने के लिए सजा माफी का रास्ता तैयार कर रही है। उन्होंने लिखा, SDM पर पिस्तौल तानने और प्रशासनिक अधिकारी का कैमरा तोड़ने वाले सजायाफ्ता भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के लिए अब राज्यपाल से सजा माफी की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। क्या ऐसा विशेषाधिकार किसी आम आदमी को भी प्राप्त है या ये सिर्फ भाजपा के लोगों के लिए है?
उन्होंने भाजपा पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा का अब लोकतंत्र और संविधान में कोई विश्वास नहीं बचा है। एक देश, दो विधान एक भाजपा के लिए, दूसरा आम जनता के लिए यही अब इनकी नीति बन चुकी है।
वायरल पत्र और बढ़ती सियासी सरगर्मी
झालावाड़ एसपी कार्यालय की ओर से थानों को भेजा गया पत्र सार्वजनिक होने के बाद यह मामला अब पूरी तरह पब्लिक डोमेन में आ गया है। सोशल मीडिया पर इसकी प्रतियां तेजी से वायरल हो रही हैं। जूली की टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल और तेज हो गई है।
क्या था मामला?
पूरा विवाद 3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहर थाना क्षेत्र का है। खाताखेड़ी के उपसरपंच चुनाव में कथित धांधली के विरोध में ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दी थी। मौके पर तत्कालीन SDM रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर IAS डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार पहुंचे थे, जो लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे।
इसी दौरान कंवरलाल मीणा अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचा और कथित रूप से SDM की कनपटी पर पिस्तौल तानते हुए धमकी दी कि यदि दो मिनट में मतगणना फिर से कराने की घोषणा नहीं हुई, तो जान से मार देगा। बाद में भीड़ के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ, लेकिन मीणा ने मौके पर मौजूद सरकारी वीडियोग्राफर की कैसेट तोड़ दी और प्रोबेशनर अधिकारी का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने कंवरलाल मीणा को तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देने के बावजूद राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी, जो फिलहाल विचाराधीन है।
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