Rajasthan: मेवाड़ राज परिवार के पूर्व महाराणा विश्वराज सिंह मेवाड़ ने चित्तौड़गढ़ में खनन कार्यों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने बिरला सीमेंट की गतिविधियों को लेकर लोकसभा की याचिका समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि खनन की वहज से चित्तौरगढ़ किले को हो रहे नुकसान की बात कई दशकों से उठती रही है और इस पर विधानसभा में भी चर्चा हुई है. उनके पिता महाराणा महेंद्र सिंह ने सांसद रहते हुई भी इस मुद्दे पर कई बार चिट्ठी लिखी थी.
विश्वराज मेवाड़ ने पत्र में लिखा है कि खनन से चित्तौड़ की ऐतिहासिक गोरा बदल युद्धस्थली के खंभों को नुकसान पहुंचा है. चित्तौड़गढ़ के इतिहास में गोरा बादल का ख़ास महत्व है, जो राणा रतन सिंह के सबसे वीर योद्धा थे. उन्होंने राणा रतन सिंह को अलाउद्दीन खिलजी से बचाया था. ये भी कहा जाता है कि उन्होंने रानी पद्मिनी की भी रक्षा की थी.

विश्वराज सिंह ने लिखा है कि यह इलाका पुरातत्व विभाग के अधीन नहीं है इसलिए वह संरक्षण से बाहर है. खनन गतिविधियों से पास स्थित एक ऐतिहासिक शिव मंदिर को भी नुकसान हो रहा है. सरकार लंबे समय से इन शिकायतों से अवगत है, इसके बावजूद इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला
चित्तौड़गढ़ में बिरला सीमेंट की फैक्ट्री का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है. सरकार ने अदालत में कहा है कि ऐतिहासिक दुर्ग के आसपास 10 किलोमीटर के अवधि में ब्लास्टिंग पर रोक लगाने पर विचार किया जा रहा है. हाल ही में चित्तौड़गढ़ बिरला सीमेंट फैक्ट्री को बरसों पूर्व आवंटित हुई जमीन की स्थिति का पता लगाने लोकसभा की एक याचिका समिति चित्तौड़गढ़ पहुंची और सुरजना गांव में जनसुनवाई की थी. ग्रामीणों ने याचिका समिति को पत्र देकर विश्व विरासत चित्तौड़गढ़ दुर्ग के 10 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
बिरला सीमेंट कंपनी को 1964 में दी गई थी जमीन
दरअसल यह मुद्दा बिरला सीमेंट फैक्ट्री को 364.8 हेक्टेयर माइनिंग लीज के साथ सेफ्टी ज़ोन के लिए किसानों से एक हजार हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण का है. वर्ष 1964 में बिरला सीमेंट की स्थापना के बाद सरकार ने 364.8 हेक्टेयर जमीन पर लीज जारी की थी. फैक्ट्री की स्थापना के करीब 25 साल बाद माइनिंग लीज के आसपास सेफ्टी ज़ोन के नाम पर 500-500 मीटर के नाम से एक हजार हेक्टेयर जमीन किसानों से ओर ले ली गई, लेकिन किसानों का कहना है कि एक साथ इतनी जमीन दिए जाने से किसान उस जमीन पर खेती कर पा रहा है. ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि माइनिंग की वजह से प्राकृतिक जलस्रोत और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.