गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की आज 138वीं जन्म जयंती है. गौरेला से भी जुड़ाव रहा है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद लगभग 70 वर्ष पूर्व सन 1952 में गौरेला नगर आए थे. पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन में इन्हीं के नाम से राजेन्द्र द्वार बना है. इसे कमानिया गेट के नाम से भी जाना जाता है.

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई.

उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था. राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया था. आमजन उन्हें सम्मान प्रायः ‘राजेन्द्र बाबू’ कहकर पुकारा करते थे है.

बात साल 1952 की है. जब भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी का आगमन पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन में हुआ था. उस समय उनके साथ विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शंभूनाथ शुक्ला भी इस दौरे में राष्ट्रपति के साथ आये हुए थे.

आजादी के बाद छोटे से नगर गौरेला में भारत के पहले राष्ट्रपति का आना नागरिकों के लिए अत्यंत गर्व का विषय था. स्थानीय नागरिकों द्वारा सादगी पूर्ण तरीके से राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का और इनके साथ आये अन्य लोगों का स्वागत सत्कार किया गया.

राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी का रेस्ट हाउस में उद्धबोधन भी हुआ था, जिसमें उन्होंने आम नागरिकों को भारत की आजादी और संविधान से संबंधित बातों को बताया था. अल्प प्रवास के इस दौरे में डॉ राजेन्द्र प्रसाद यहां अमरकंटक भ्रमण के लिए भी गए थे.

गौरेला रेस्ट हाउस में उद्धबोधन के दौरान मंच पर आसीन प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मुख्यमंत्री शंभू नाथ शुक्ला के साथ पेंड्रारोड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के घर गए थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गया प्रसाद केशरी भी उनके साथ थे. साल 1952 में ली गई एक दुर्लभ तस्वीर आज भी सहेज कर स्मृति स्वरूप रखी गई है. गौरेला निवासी वकील अमृत लाल गुप्ता ने अपने क्लिक कैमरे से खींचा था. ऐतिहासिक विरासत को सहेजे हुए यह राजेन्द्र द्वार कमानिया गेट गौरेला नगर की पहचान है.

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