पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। भगवान राजीव लोचन की नगरी राजिम में भक्ति और शक्ति का प्रतीक राजिम माघी पुन्नी मेला आज से शुरू हो गया है. श्रद्धालुओं ने ब्रह्ममुहर्त में पहुंचकर त्रिवेणी संगम में श्रद्धा और आस्था की डुबकी लगाई.

महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस मेले में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. श्रद्धालुओं ने सुबह 4 बजे से ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना शुरू कर दिया है. माना जाता है कि आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत फलदायी होता है. इसी श्रद्धा और आस्था के साथ श्रद्धालुओ ने बड़ी संख्या में पहुंचकर स्नान ध्यान किया.

इसके साथ ही मंदिरों में पूजा-पाठ का दौर भी शुरू हो गया है. श्रद्धालुओं ने पहले त्रिवेणी संगम में स्नान किया और फिर वहीं रेत का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा-अर्चना की. इसके बाद श्रद्धालुओं ने राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की. त्रिवेणी स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना का दौर दिनभर जारी रहेगा.

राजिम माघी पुन्नी मेला में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए है. गरियाबंद पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल स्वयं इसकी कमान संभाल रहे हैं. प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने स्वयं शुक्रवार शाम मौके पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था और तैयारियों का जायजा लिया था.

लोक कलाकार देंगे अपनी प्रस्तुतियां

राजिम माघी पुन्नी मेले का विधिवत शुभारंभ शाम को महोत्सवस्थल विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की गरिमामय उपस्थिति में होगा. इस अलावा प्रदेश के कई अन्य मंत्रियों और गणमान्य नागरिकों के भी शामिल होने की उम्मीद है. महोत्सव स्थल से शाम को लोक कलाकार आरु साहू और उर्वशी साहू का रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत होगा.

अनादिकाल से है स्थल की पहचान

अनादिकाल से राजिम की पहचान एक धर्मिक नगरी के रूप में रही है. मान्यता के अनुसार, तीन नदियों के बीच स्थित कुलेश्वरनाथ मंदिर स्वयं माता सीता द्वारा स्थापित किया गया है. वहीं विष्णु के अवतार भगवान राजीवलोचन साक्षात यहां विराजमान है. लोमश ऋषि की तपोभूमि होने के कारण इस स्थान की महत्ता औऱ भी बढ़ जाती है.

कोरोना का भी सता रहा है डर

इस बार भी यहां बड़ी संख्या में साधु संतों और श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण प्रशासन और श्रद्धालु दोनो चिंतित है। मेले में पहुंचने वाली भीड़ से कोरोना नियमों का पालन करना जहां प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी मान्यताओं को बरकरार रखना श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा चलेंज होगा.