राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजना राजनांदगांव जिले में ठप्प पड़ा हुआ है. जिससे पशु पालकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पहले तो गोबर की कोई कीमत ही नहीं थी, अब जब इसकी कीमत मिल रही है, तो खरीदी ही बंद हो गई है. जिससे गोबर को इधर-उधर फेंकना पड़ रहा है. इन परेशानियों को लेकर बीजेपी के पार्षदों ने गौपालकों के साथ मिलकर नगर निगम आयुक्त और महापौर के कार्यालय का घेराव कर दिया.

पूरे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजनांदगांव में भी बहुत जोर-शोर से गोबर खरीदी केन्द्रों का शुभारंभ महापौर ने किया था. योजना की शुरूवात तो अच्छी रही, लेकिन महापौर और आयुक्त के निष्क्रियता के चलते इतनी अच्छी योजना एक साल भी नहीं टिक पाई. पिछले कुछ दिनों से नगर निगम के द्वारा गोबर खरीदी के उप केन्द्रों को बंद कर दिया है. शासन से चार मुख्य केन्द्र स्वीकृत है और आठ उप केन्द्रो को सिर्फ योजना के प्रचार-प्रसार के लिए चालू किया गया था.

नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने बताया कि गोबर खरीदी के आठ उप केन्द्रों के बंद होने से पशु पालकों को गोबर बेचने में बहुत ही असुविधा हो रही है. जिस कारण पशु पालक परेशान होकर गोबर को सड़कों और नालियों में डालने लगे है. क्योंकि गोबर खरीदी कन्द्रों तक गोबर पहुंचाने में बहुत ही तकलीफ होती है और समय लगता है. जिससे गोबर खरीदी केन्द्रों तक जाने में पशु पालकों के साथ कोई दुर्घटना घटती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ?

किशुन यदु ने आगे बताया कि शहर में गोबर खरीदी केन्द्रों की संख्या तय करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है और नगर निगम को गोधन न्याय योजना से पशु पालकों को न्याय मिले, इसके लिए पशु पालको की सुविधा एवं स्थान उपलब्धता के आधार पर गोबर खरीदी केन्द्रो का निर्धारण किया जाए. खरीदी केन्द्रों के जल्द पूर्ण निर्धारण नहीं होने पर पशु पालक गोबर कही भी डालने के लिए स्वतंत्र होंगे, चाहे वह स्थान आयुक्त और महापौर का कार्यालय ही क्यों न हो ?