रायपुर- ढोल- नगाड़ें और पटाखों की तेज आवाजें बीजेपी में आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं, लेकिन यह उत्साह है सरोज पांडेय को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर. केंद्रीय नेतृत्व ने सरोज पांडेय को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान किया, तो आज नामांकन दाखिलें के लिए सरोज पूरे दमखम के साथ बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंची. प्रदेश की सियासत को बखूबी समझने वाले ये जानते भी हैं और मानते भी हैं कि सरोज प्रदेश संगठन और सत्ता की विपरीत ध्रुव की नेता मानी जाती हैं, लेकिन आलाकमान की बेहद नजदीक हैं. जाहिर है नजदीकी का फायदा मिला और टिकट राज्यसभा की कटी.
इधर नामांकन दाखिले की तमाम जरूरी प्रक्रियाओं को प्रदेश कार्यालय में पूरी करने के बाद जब सरोज पांडेय विधानसभा पहुंची, तो सियासत के गलियारे में उनके विरोधी माने जाने वाले तमाम चेहरे उनके साथ खड़े नजर आए. नामांकन फार्म में मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह से लेकर सरकार के ज्यादातर मंत्रियों और बीजेपी विधायकों ने दस्तखत कर प्रस्तावक की भूमिका अदा की. नामांकन दाखिले के दौरान सरोज के साथ मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह, संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, महेश गागड़ा, रामसेवक पैकरा, रमशीला साहू समेत तमाम मंत्री-नेता मौजूद रहे.
नामांकन दाखिले के बाद सरोज पांडेय ने कहा कि एक कार्यकर्ता को केंद्रीय नेतृत्व ने जो जिम्मेदारी नवाजी हैं, उसके लिए मैं शुक्रिया करती हूं, साथ ही यह भरोसा दिलाती हूं कि पूरी शिद्दत के साथ दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करूंगी. मुख्यमंत्री पद की मजबूत दावेदार बताए जाने वाले सवाल पर सरोज ने ज्यादा कुछ कहने से परहेज किया. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि सरोज पांडेय के राज्यसभा जाने से छत्तीसगढ़ मजबूत हुआ है. अब मजबूती से प्रदेश के हितों से जुड़े मुद्दों को राज्यसभा में उठाया जाएगा. तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के भीतर जितने भी शक्तिकेंद्र मजबूत होंगे, इससे बीजेपी ही मजबूत होगी.
बीजेपी इस उम्मीद में थी कि बहुमत होने के आधार पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेगी. लेकिन कांग्रेस ने ऐनवक्त पर साहू समाज के जुड़े पूर्व विधायक लेखराम साहू को मैदान में उतारकर मुकाबले को एकतरफा होने नहीं दिया. लेखराम साहू के नामांकन दाखिल किए जाने के बाद अब निर्वाचन की प्रक्रिया होगी. 23 मार्च को मतदान होगा. कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि संगठन की इस रणनीति के पीछे दो वजहें थे, एक वजह साहू समाज के बड़े वोट बैंक को साधने की थी, क्योंकि बीते दिनों साहू समाज की बैठक में यह तय किया गया था कि यदि बीजेपी साहू समाज का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में नहीं देगी, तो इसका परिणाम चुनाव में पार्टी को भुगतना होगा. सरोज पांडेय का साहू समाज से पुराना बैर भी रहा है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बेमेतरा में हुए एक अप्रत्याशित घटना में साहू समाज से जुड़े एक नेता को सरोज ने थप्पड़ जड़ दिया था, लिहाजा आक्रोश सरोज के खिलाफ फूट पड़ा. कांग्रेस इस आक्रोश को भुनाना चाहती है.
बहरहाल निर्वाचन की स्थिति के बावजूद सरोज पांडेय का राज्यसभा सांसद बनना लगभग तय है. विधानसभा में बीजेपी का बहुमत है. जाहिर है नतीजे सरोज के पक्ष में आएंगे ही. लेकिन चुनावी साल में सरोज पांडेय की बढ़ती ताकत सत्ता-संगठन के लिए किस तरह से नए समीकरण तैयार करेगी. सियासी प्रतिद्वंदता किस करवट बैठेगी. सत्ता कमजोर होगी या फिर संगठन मजबूत होगा. यह तमाम सवाल हैं, जिसका आने वाले दिनों में जवाब आना बाकी है.