रायपुर- लाॅकडाउन की वजह से देश के अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों को वापस लाए जाने की मांग करते हुए राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने लिखा है कि जिस तरह राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को लाने का सराहनीय कार्य सरकार ने किया है, ऐसी ही पहल रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाए जाने के लिए भी किया जाना चाहिए. सरोज पांडेय ने कहा है कि लाॅकडाउन को एक महीने हो चुके हैं, मजदूरों के पास जितनी भी जमा पूंजी थी, वह खत्म होने की कगार पर आ गई है. ऐसे में इस गंभीर और जनभावना से जुड़े विषय पर सरकार विचार करे.

सरोज पांडेय की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखी गई चिट्ठी-
माननीय भूपेश बघेल जी
मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
विषयः अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूरों को वापस लाये जाने हेतु।
सम्मानीय महोदय जी,
आपको ज्ञात ही होगा कि देश के विभिन्न राज्यों में रोज़ी मजदूरी को गए छत्तीसगढ़ के मज़दूर फंसे हुए है उनको भी वापस छत्तीसगढ़ लाने का कार्य सरकार पहली प्राथमिकता में करे। कोटा, राजस्थान से राज्य के छात्रों को लाने का कार्य सराहनीय है लेकिन उतनी ही संवेदनशीलता छत्तीसगढ़ सरकार उन मजदूरों के प्रति भी दिखाए जो लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंस गए है। लॉकडाउन को एक माह पूर्ण हो चुका है तथा इन मज़दूरों के पास जितनी भी जमा पूँजी थी खत्म होने की कगार पर है। ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ से विभिन्न जिलों जैसे कि बिलासपुर दुर्ग ,बेमेतरा ,कबीरधाम, मुंगेली आदि से बड़ी मात्रा में लोग साल के इस समय दुसरे राज्यों में मजदूरी या अन्य कार्य हेतु जाते हैं। इस वक्त अनुमानित सवा लाख से ज्यादा मज़दूर देश में अन्य राज्य और शहरों जैसे की लखनऊ, हैदराबाद, सिकंदराबाद, पुणे, वलसाड, अरुच, अहमदाबाद सूरत, नागपुर तथा कश्मीर सहित देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं। कुछ ही दिनों में नयी फसल का भी समय छत्तीसगढ़ में आ जायेगा और उस वक्त हमारे इन मज़दूर भाइयों का अपने खेतो खलिहानो में रहना भी अत्यंत आवश्यक है.
यह समय छत्तीसगढ़ में सामाजिक गतिविधियों तथा शादी विवाह आदि का भी रहता है भले ही यह गतिविधियां वर्तमान की विशेष परिस्थिति में सीमित दायरे में हो ।साथ ही कुछ ऐसी जानकारियां भी मिली हैं कि इन प्रवासी मजदूरों में कुछ महिलाएं भी हैं जिनका प्रसव का समय आ गया है उन्हें चिकित्सा तथा अन्य सुविधाओं की भी आवश्यकता है।
मेरा यह भी सुझाव है कि अगर इन प्रवासी भाइयों को वापस लाया जाता है तो उन्हें अपना क्वारंटीन समय अपने गाँव के स्कूल की या अन्य किसी सरकारी ईमारत में गुजारने का इंतज़ाम सरकार द्वारा किया जा सकता क्योंकि वर्तमान में स्कूली शिक्षा बंद है और इनके भोजन तथा चिकित्सा सुविधा का लाभ उन्हें वहीं प्रदान किया जा सकता है इससे सरकार पर अपेक्षाकृत कम भार पड़ेगा तथा यह मजदूर अपने गाँव तथा अपने लोगों के बीच सुरक्षित भी महसूस करेंगे।
अतः आपसे यह अपेक्षा है कि इस अति महत्वपूर्ण तथा जनभावना से जुड़े विषय पर गंभीरता से विचार करे तथा देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हमारे प्रदेश के मजदूरों को वापस लाने का कार्य शीध्र प्रारम्भ करें।
डॉ.सरोज पाण्डेय