मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जून में होने वाले राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव के लिए स्थानीय लोगों को मौका दिलाने की कोशिश करने के आश्वासन के बाद कई दावेदारों के नाम सामने आने शुरु हो गए हैं.

राज्यसभा की दो सीटें कांग्रेस के खाते में जानी है. पिछली दफा केटीएस तुलसी को केंद्रीय कोटे से जगह मिली थी जबकि प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम को राज्यसभा सीट मिली. इस बार दो सीटें कांग्रेस की छाया वर्मा और बीजेपी के राम विचार नेताम की खाली हो रही हैं.

हालांकि राष्ट्रीय स्तर के दो नेताओं के नामों पर भी चर्चा है. इसमें एक नाम प्रभारी पीएल पुनिया और विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का है. महंत का नाम इसलिए लिया जा सकता है कि वे आइंदा चुनाव ना लड़ने और राज्यसभा में एक बार जाने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं.

राज्य में जिन नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, गिरीश देवांगन, राजेश तिवारी, प्रदीप चौबे हैं. गिरीश देवांगन का नाम पिछली दफा भी काफी आगे था लेकिन ऐन वक्त पर उनका नाम कट गया. माना जा रहा है कि उनकी दावेदारी इस नाते बेहद मजबूत है.

इसी तरह यूपी चुनाव के बाद विनोद वर्मा और राजेश तिवारी को प्रियंका गांधी के साथ काम करने का मौका मिला है. जो उनकी दावेदारी को मजबूत करता है. विनोद वर्मा देश के नामचीन पत्रकारों में शुमार रहे हैं. दिल्ली से लेकर लंदन तक उन्होंने पत्रकारिता की है. राजनीति में आने के बाद वे भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते हैं. विनोद वर्मा ने पार्टी में ट्रेनिंग का जिम्मा संभाला. पहले छत्तीसगढ़ में फिर यूपी में उन्होंने भूपेश बघेल के निर्देशन में कांग्रेसियों को ट्रेंड किया.

इसी तरह, राजेश तिवारी राष्ट्रीय सचिव हैं. प्रियंका गांधी के मातहत पूर्वी यूपी में जिम्मा उनके पास है. जहां से कई सीटें कांग्रेस निकाल सकती है. इसी तरह कुछ लोग महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा का नाम भी राज्यसभा के लिए ले रहे हैं.

लेकिन इन नामों में कौन आगे निकलेगा और कौन पीछे रहेगा, ये बहुत कुछ समीकरणों और हालात पर निर्भर करेगा. माना जा रहा है कि इस बार ओबीसी सामान्य और एससी में से किन्हीं दो वर्गों में ये दिया जाएगा.