दिल्ली। बड़ा सवाल है कि कांग्रेस इस बार राज्यसभा किसे भेजेगी ? एक नाम कांग्रेस के मोतीलाल वोरा का तय माना जा रहा है. वोरा तभी राज्यसभा का चुनाव नहीं लडेंगे, जब वे खुद मना कर दें. लोकसभा और उसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में उनकी सक्रियता देखकर इस बात की संभावना न के बराबर है. लेकिन दूसरी सीट पर विकल्प खाली है. चर्चा है कि इस सीट पर किसी राष्ट्रीय नेता को लड़ाया जा सकता है. लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चाहेंगे कि राज्यसभा से दूसरा सदस्य भी छत्तीसगढ़ से ही जाए.

इस बात की झलक उन्होंने छाया वर्मा के चुनाव के साथ दे दी थी. जब उन्होंने लंबे समय से राज्य की दूसरी सीट पर राष्ट्रीय नेता को लड़वाने की परंपरा को तोड़वाया और राज्य से ही किसी व्यक्ति को राज्यसभा भेजा.माना जा रहा है कि राज्य की दूसरी राज्यसभा सीट पर सीएम बघेल की राय निर्णायक होगी.

अगर उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के सामने राज्य के ही किसी व्यक्ति को भेजने की बात कही तो राज्य के किसी नेता की लॉटरी लग जाएगी. राज्य से जिन व्यक्तियों को राज्यसभा भेजने की चर्चा है. उनमें करुणा शुक्ला, राजेंद्र तिवारी, विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग है.

सबसे पहला नाम करुणा शुक्ला का है. संगठन को मज़बूती देने का काम उन्होंने बखूबी किया. विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का राजनांदगांव सीट पर डटकर मुकाबला किया. लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने खूब पसीना बहाया है. संगठन को मज़बूत करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. लेकिन मोतीलाल वोरा अगर पहले सदस्य चुने जाते हैं तो क्या दो ब्राह्मणों को एक साथ पार्टी मौका देगी, ये बड़ा सवाल है ?

पार्टी अगर एक ब्राह्मण और एक अन्य के फॉर्मूले पर राज्यसभा भेजेगी. तो इस स्थिति में मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा और रुचिर गर्ग फिट होते हैं. दोनों में से किसी को राज्यसभा भेजने से पार्टी को संसद में मज़बूत आवाज़ मिलेगी.

दूसरा नाम विनोद वर्मा का है. वे ओबीसी वर्ग से आते हैं और भूपेश बघेल को ब्रांड भूपेश में तब्दील करने में उनकी अहम भूमिका रही है. विनोद वर्मा बघेल के बेहद विश्वसनीय और कुशल रणनीतिकार हैं. मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार होने के नाते विपक्षी रणनीतियों को ध्वस्त करने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. उनके बनाए ट्रेनिंग मॉड्यूल ने बूथ स्तर पर कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मज़बूत किया.

तीसरा नाम रुचिर गर्ग है. रुचिर गर्ग के पार्टी में शामिल होने के बाद प्रदेश स्तर के बुद्धिजीवी कांग्रेस के पक्ष में लामबंद हुआ था. रुचिर पत्रकारिता जगत से आए हैं. लिहाजा वे प्रदेश के प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं. पत्रकारिता जगत में वे एक विश्वनीय चेहरा के तौर देश में प्रदेश का प्रतनिधितित्व करते रहे हैं.

पार्टी के एक और नेता राजेंद्र तिवारी का नाम भी चर्चाओं में है. लोकसभा चुनाव में भी वे रायपुर से लड़ने के इच्छुक थे. लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. लेकिन जो स्थिति करुणा शुक्ला के साथ है वही स्थिति राजेंद्र तिवारी के साथ.

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