Rakhi Bandhte Samay Kaun Sa Mantra Bolna Chahie: हर बहन चाहती है कि उसका भाई हर कार्य में सफल हो और वह सदैव उन्नति की पताका फहराए. इसी तरह हर भाई चाहता है कि उसकी बहन हमेशा सुखी और समृद्ध रहे. रक्षा बंधन पर्व भाई और बहन, दोनों के लिए खास होता है. लेकिन इसके पूर्ण शुभ लाभ तभी मिलते हैं, जब इसे शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान का पालन करते हुए मनाया जाए. शुभ मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई पर राखी बांधने से उसे कार्य में सिद्धि और विजय प्राप्त होती है.
पहले जान लें विधि-विधान
वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है, जहां से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है. रक्षा बंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं. पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई और कुछ ताजे फूलों के बीच में घी का एक दीया रखें. दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम इष्ट देव को तिलक लगाकर राखी बांधे और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं. फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं. इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें.
अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें. इसके बाद (Rakhi Bandhte Samay Kaun Sa Mantra Bolna Chahie)
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें. भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें. इस मंत्र का मतलब होता है
जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।
कैसे शुरू हुई परंपरा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब विष्णु जी ने वामन के रूप में बलि से तीन पग में पूरा राज्य मांग लिया और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा, तब बलि ने विष्णु जी से मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहा. विष्णु जी मना नहीं कर सके. जब लंबे समय तक श्रीहरि अपने धाम नहीं लौटे लक्ष्मी जी को चिंता हुई. नारद मुनि ने उन्हें राजा बलि को भाई बनाने की सलाह दी. माता लक्ष्मी गरीब स्त्री का रूप धारण कर बलि के पास पहुंचीं और उन्हें राखी बांध दी. इसके बदले उन्होंने विष्णु जी को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. माना जाता है कि तभी से रक्षा बंधन पर्व मनाया जाने लगा.
राखी बांधने के नियम : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाहिने हाथ पर रक्षासूत्र बांधना चाहिए, वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ पर राखी बांधने का विधान है. भाइयों को राखी बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र में काले रंग को औपचारिकता, बुराई, नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इस दिन बहन और भाई, दोनों को काले रंग के परिधान पहनने से परहेज करना चाहिए.
क्या है शुभ मुहूर्त (Rakhi 2023 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही भद्रा लग जाएगी, जो रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. वहीं, श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इसलिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है.
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