रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भाई-बहन के प्यार भरे रिश्ते का प्रतीक है. यह त्यौहार भाई-बहन के बीच के पवित्र बंधन और प्यार का प्रतीक है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी बीच भगवान श्री राम (Bhagwan Shri Ram) भी रक्षाबंधन मना रहे हैं. भगवान श्री राम की बहन शांता (Lord Ram’s sister Shanta) ने भी हर बार की तरह इस बार राखी भेजी है.
रक्षाबंधन पर्व पर हिमाचल (Himachal) के कुल्लू में शृंग ऋषि और शांता मंदिर (Shanta Mandir) से भगवान राम के लिए राखी अयोध्या (Ayodhya) पहुंच गई है. साथ ही अयोध्या और अंबेडकर नगर के बॉर्डर पर बने प्राचीन श्रृंगी ऋषि आश्रम माता शांता मंदिर से भी गाजे-बाजे साथ बड़ी संख्या में महिलाएं राखी के साथ पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आवास पर पहुंची. जहां उन्हें राखी सहित 56 भोग और फल समर्पित किया.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या के राजा महाराज दशरथ की एक बेटी भी थीं. जिसका नाम शांता बताया जाता है. महारानी कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति रोमपाद जो अंग देश के राजा थे, जो निसंतान थे. लिहाजा जब उन्होंने शांता जैसी कन्या की कामना की तो महाराज दशरथ और कौशल्या ने शांता को गोद दे दिया.
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पुराणों की मानें तो, यही शांता के बड़ी होने पर राजा रोमपाद ने इनका विवाह श्रृंगी ऋषि से कराया था. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रृंगी ऋषि और शांता का मंदिर है. कर्नाटक के श्रंगेरी शहर का नाम श्रृंगी ऋषि के नाम पर ही है. इसी मंदिर से हर साल प्रभु श्रीराम के लिए राखी आती है.
हर साल बांधी जाती है राखी
दरअसल, भगवान राम को उनकी बहन हर वर्ष राखी बांधती है. यह परंपरा कायम है. इसी राखी को जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास इस रक्षा सूत्र को राम लला की कलाई में बांधेंगे. श्रृंगी ऋषि आश्रम से आई राखी की सबसे बड़ी खासियत है कि सावन की शुरुआत होने के साथ ही साथ महिलाओं की एक ग्रुप में अपने हाथों से रेशम के धागों से राखी का निर्माण किया और निर्माण के दौरान प्रतिदिन बकायदा वैदिक परंपरा के अनुसार पूजा पाठ के बाद ही राखी बनाने का काम शुरू किया जाता था.
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