रक्षा बंधन भाई-बहन के अटूट प्यार का पर्व। 19अगस्त को हिंदु धर्म को मानने वाले समूचे विश्व में निवासरत लोग, यह पर्व मनाएंगे। बहन भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी। भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करेगी। भाई से रक्षा का वचन लेगी। भाई, बहन को आशीर्वाद देगा, उपहार देगा।किसी भी तरह की पूजा करने के कुछ नियम जरूर होते हैं उसी तह राखी पर्व को मनाने, राखी बांधने का विधि-विधान हमारे ग्रंथों में दिया है। आईए जानते हैं, इन सबके बारे में।
खड़े चावल का तिलक लगाएं
बहन भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले उसका तिलक करती है। तिलक रोरी-कुमकुन के साथ अक्षत लगाकर किया जाता है। ऐसे में खड़े अक्षत यानी खड़े सफेद चावल (खंडित न हों), उससे तिलक करें। टूटे अक्षत अशुभ माने जाते हैं।
काले कपड़े न पहनें
ग्रंथों में उल्लेख है कि पूजा-पाठ, या किसी भी शुभ कार्य के दौरान काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इन्हें अशुभ माना गया है। इसलिए प्रयास हो कि राखी बंधवाते समय काले कपड़े न पहनें।
शुभ मुहूर्त में बांधे रखी
राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त कलैंडर में उल्लेखित है। या किसी भी ब्राह्मण से शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी ले लें। रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा, ऐसे में ध्यान रहे कि भद्र के दौरान राखी न बांधें। रक्षाबंधन पर भगवान को शुभ मुहूर्त में राखी अपर्ति करें। भगवान को भी कुमकुम और चावल का तिलक करें।
भाई के सिर पर रुमाल रखें
राखी बांधने से पहले भाई का सिर रूमाल से ढंके। राखी की तीन गांठ लगाएं। राखी दाहिने हाथ में ही बांधें, क्योंकि दाहिने हाथ को शुभ माना जाता है। मान्यता अनुसार ये गांठे ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती है। इस दौरान भाई की आरती उतारने की भी परंपरा है। अगर, आप भी इस परंपरा को मानते हैं तो टूटे-फूटे नहीं, बल्कि नए घी के दीपक का उपयोग करें। दीपक नकारात्मकता को दूर करता है।