Rakshabandhan 2025 Special: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन 9 अगस्त को है. इस दिन भद्रा नहीं होगी और कई शुभ योग बनेंगे जो लगभग 40 साल बाद आ रहे हैं. सुबह से ही परम शुभ सर्वार्थ सिद्धि योग और सौभाग्य योग रहेंगे. सूर्य और बुध के कर्क राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा, वहीं बृहस्पति और शुक्र के मिथुन राशि में होने से मंगलकारी योग का संयोग बनेगा.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. सबसे पहले माता लक्ष्मी ने ही अपने भाई को राखी बांधी थी. इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है और भाई बहन को उपहार देकर जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है.

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Rakshabandhan 2025 Special

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रक्षाबंधन की पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, एक बार राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया. उस समय भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर राजा बलि के पास आए और तीन पग धरती दान में मांगी. राजा ने सहमति दे दी. तब भगवान विष्णु ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया कि दो पग में ही पूरी धरती और आकाश नाप लिया और तीसरे पग में राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया.

राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि वे हर समय उनके सामने रहें, चाहे वे सो रहे हों या जाग रहे हों. भगवान विष्णु ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके साथ पाताल लोक में रहने लगे.

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भगवान विष्णु के पाताल लोक में रहने से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं. उन्होंने नारद जी को यह बात बताई. नारद जी ने उपाय सुझाया कि वे राजा बलि को अपना भाई बना लें और फिर भगवान विष्णु को वैकुण्ठ वापस ले जाएं.

माता लक्ष्मी ब्राह्मणी के वेश में राजा बलि के पास पहुंचीं और वहां रोने लगीं. राजा ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है. राजा ने तुरंत कहा कि अब से वे उनके भाई हैं. श्रावण पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और भगवान विष्णु को अपने साथ चलने के लिए मांग लिया.

राजा बलि ने अपनी बहन की बात मान ली और भगवान विष्णु को वापस भेज दिया. तभी से रक्षाबंधन का यह पर्व भाई और बहन के प्रेम व रक्षा के वचन का प्रतीक बनकर मनाया जाने लगा.

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