राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। राम वन पथ गमन को लेकर चित्रकूट में एक बड़ी बैठक बुलाई गई है। यह बैठक 16 जनवरी को होगी, यह श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास की पहली बैठक है। इसमें मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव के साथ 33 न्यासी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि बैठक में पांच बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी। न्यास से संबंधित जानकारी पेश की जाएगी, वहीं कामों की रुपरेखा भी प्रस्तुत होगी। इसके अलावा घाटों के विकास कार्यों की डीपीआर पर प्रेजेंटेशन, लीला गुरुकुल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के प्रस्ताव का प्रस्तुतिकरण और न्यासी सदस्यों के सुझाव और आगामी योजना पर मंथन किया जाएगा।  

क्या है राम वन गमन पथ 

भगवान राम हिंदू समाज के आराध्य देव है, उन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। अपने इस जीवन काल में उनके द्वारा अनेक राक्षसों का वध किया गया, जिनमें से सबसे प्रमुख रावण था। लेकिन रावण तक पहुंचने से पहले उन्हें वनवास भोगना पडा। इसी वनवास के अंतिम काल में उनके द्वारा रावण का वध किया गया था। ऐसे में आयोध्या से श्रीलंका तक भगवान श्रीराम जिस रास्ते से होते हुए लंका पहुंचे थे, यह रास्ता ही श्रीराम वन गमन पथ (Ram Van Gaman Marg) कहलाता है। 

मध्यप्रदेश- राम के वनवास का केंद्र

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला, वहीं राम के वनवास में सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली मध्यप्रदेश रहा है। यहां पर श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण सहित वनवास का सबसे अधिक 11 साल 11 महीने और 11 दिन का समय गुजारा। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में राम वन गमन पथ चित्रकूट से अमरकंटक तक 370 किलोमीटर है। कहा जाता है कि चित्रकूट में पग-पग पर राम की निशानियां बसी हैं।

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