रायपुर। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा राम वनगमन पर्यटन परिपथ के लिए लोगो डिजाइन प्रतियोगिता की प्रविष्टि की तिथि अब 28 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। पहले प्रविष्टि की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर थी। इस प्रतियोगिता में उत्कृष्ट ’लोगो’ के चयन पर विजेता प्रतिभागी को 10 हजार रूपए पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। प्रतिभागी अपने डिजाइन किये हुए लोगो अब 28 अक्टूबर तक पर्यटन विभाग की ईमेल आईडी [email protected] पर भेज सकते हैं। छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड की वेबसाइट www.chhattisgarhtourism.in में प्रतियोगिता से सम्बन्धित समस्त जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

राम वनगमन पर्यटन परिपथ परियोजना राज्य सरकार की एक महती योजना है। भगवान राम का जीवन जनमानस से जुड़ा है, इसलिए इस परियोजना के लिए लोगो का डिजाइन जनमानस से आमंत्रित की गई है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विकास तथा सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास की वृहद योजना तैयार की है। भारत के सांस्कृतिक और पौराणिक-पुरूष श्री राम का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता रहा है। प्राचीन समय में अलग-अलग कालखंडों में दंडकारण्य, महाकांतर, कोसल तथा दक्षिण कोसल के नाम से पुकारा जाने वाला यह भू-भाग श्री राम का ननिहाल रहा है। अपने वनवास के दौरान उन्होंने 14 वर्षों में से अधिकांश समय यहीं पर बिताये थे।

छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित कोरिया से लेकर दक्षिण में स्थित सुकमा तक राम से जुड़े स्थानों, प्राचीन अवशेषों की एक पूरी श्रृंखला प्राप्त होती है, जिनसे न केवल लोक आस्थाएं जुड़ी हैं, बल्कि वे स्थानीय सांस्कृतिक मूल्यों के स्त्रोत भी रहे हैं। राम वन गमन पर्यटन परिपथ ऐसे ही स्थानों को आपस में जोड़कर उन्हें विकसित करने की परियोजना है। राम से जुड़े 75 स्थानों की पहचान की गई है। परियोजना के पहले चरण में इनमें से 9 स्थानों का विकास तथा सौंदर्यीकरण किया जाना है। प्रथम चरण में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) का चयन किया गया है। इस पर लगभग 137 करोड़ 45 लाख रूपए खर्च किए जाएंगे।