कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है लेकिन ग्वालियर की भगवान राम की प्रतिकृति देशभर में सुर्खियों में है। राम नाम से पत्थर भी पानी में तैर जाते है, ये प्रसंग हमने रामायण में देखा है, लेकिन क्या आप सोच सकते है कि कलयुग में भी राम नाम से पत्थर पानी में तैर सकता है।
पानी में तैर रही ये नाव बहुत खास है, भला खास हो भी क्यों न, खुद भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इस नाव में वे विराजमान है, लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसमें खास क्या है? राम नाम से पत्थर भी तेरे जाते है, इसकी हकीकत हमे आज के दौर में भी देखने मिल रही है, क्योंकि ये नाव लकड़ी की नहीं बल्कि पत्थर से बनी है, जिसमें विराजित भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और केवट भी पत्थर के है। अंतर्राष्ट्रीय शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा ने ये प्रतिकृति बनाई है। पत्थर की नाव में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण विराजित है। पत्थर से बनी नाव में केवट संवाद का दृश्य है। करीब 5 किलो वजनी पत्थर की यह प्रतिकृति पानी में तैरती है। जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं।
मूर्तिकार दीपक ने पत्थर का नायब शिल्प बनाया है। ग्वालियर मिंट स्टोन का करीब 50 किलो वजनी पत्थर लिया और इसे तराशना शुरू किया। दीपक सहित तीन कारीगरों ने 40 दिन रात मशक्कत कर इसे तराशकर त्रेता युग के केवट संवाद दृश्य में तब्दील कर दिया। पत्थर की इस नाव में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता जी विराजित हैं और केवट नाव चला रहे हैं। भगवान राम को जब वनवास मिला था तो केवट ने उन्हें अपनी नाव में बिठाकर जंगल में छोड़ा था। पानी में तैरती पत्थर की नाव इसी दृश्य को दिखा रही है। दीपक को इस बात की खुशी है कि अब 500 साल बाद भगवान राम लौटकर अयोध्या आ रहे हैं और भव्य मंदिर में विराजित होंगे।
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