रायपुर. रंभा या रमा एकादशी कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की एकादशी को कहा जाता है. यह दिवाली से चार दिन पहले आती है. विवाहिता स्त्रियों के लिए यह व्रत सौभाग्य और सुख देने वाला है. पुराणों में इस एकादशी व्रत के माहात्म्य का उल्लेख प्राप्त होता है. इस व्रत में भगवान केशव का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि इस एकादशी व्रत को करने वाले जीवन के समस्त क्लेशों से छूट जाते हैं और भगवान विष्णु की परमकृपा के भागी होते हैं.
यह एकादशी अनेक पापों को नष्ट करने वाली है. इस दिन मिट्टी का लेप कर स्नान पश्चात श्रीकृष्ण या केशव का पूजन करना चाहिए. इस व्रत में गेहूं, जौ, मूंग, उड़द, चना, चावल, मसूर दाल और प्याज इन दस चीजों के त्याग का विशेष महत्व है. अत: रंभा एकादशी व्रत करने वाले श्रद्धावान व्यक्तियों को इन वस्तुओं को ग्रहण नहीं करना चाहिए. इस दिन बार-बार जलपान, हिंसा, असत्य भाषण, पान चबाने, दातून करने, दिन में शयन, रात्रि में सोने और बुरे मनुष्यों से वार्तालाप से बचना चाहिए. व्रती को मौन रहकर गीता का पाठ करना चाहिए.
किसी भी व्यक्ति को आपके द्वारा कष्ट न पहुंचे इसका ध्यान रखना चाहिए. व्रत की रात्रि जागरण से मिलने वाले फल में वृद्धि होती है तो चंद्रोदय पर दीपदान करने से भी श्री विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस एकादशी की रात्रि जागरण करते हुए भगवान की कथा श्रवण करनी चाहिए. इस व्रत के विधान से सभी पापों का क्षय होता है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
रमा एकादशी व्रत विधि
रमा एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत करने के लिए संकल्प लें. जिस प्रकार आप व्रत कर सकते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लें, जैसे- यदि पूरा दिन निराहार रहना चाहते या फिर एक समय फलाहार करना चाहते हैं. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार पूजा करें. इसके बाद भगवान को भोग लगाएं व प्रसाद भक्तों को बांट दें. भगवान को माखन और मिश्री का भोग लगाएं तो अति उत्तम रहेगा. इसी प्रकार शाम को भी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें. रात के समय भगवान की मूर्ति के पास बैठकर श्रीमद्भागवत या गीता का पाठ करें.
अगले दिन ब्राह्मणों को आमंत्रित करें. ब्राह्मणों को भोजन करवा कर, दान-दक्षिणा देकर ससम्मान विदा करें. उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें.
रमा एकादशी को क्या करें?
- श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ इस दिन बहुत शुभ फल प्रदान करने वाला है.
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”का जप कीजिए.
- श्री कृष्ण भक्ति के भजन और गीत समूह में करें.
- भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार कीजिए.
- भगवान श्री कृष्ण मंदिर में बांसुरी का दान कीजिए.
- श्री रामचरितमानस के अरण्य कांड का पाठ कीजिये.
- इस दिन चावल घर में मत बने.
- मंदिर में द्रव्य का दान कीजिये.
- गो शाला में गायों को भोजन कराने से श्री कृष्ण कृपा प्राप्त होगी.
- गरीबों में अन्न और वस्त्र का दान करें.
- निराजल या फलाहार व्रत रहना है.
- महिलाएं पुत्र प्राप्ति हेतु संतान गोपाल का पाठ करती हैं.