Ramadan 2024: रायपुर. रमजान का पवित्र माह शुरू हो चुका है, जिसके तहत पहला रोजा मंगलवार से रखा गया. रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर (Ramadan 2024) के अनुसार नौवां महीना होता है. रोजा रखना हर मुसलमान के लिए बेहद जरूरी होता है. इस दौरान बिना कुछ खाए- पिए घंटों रहना होता है. वहीं, शाम को इफ्तारी के दौरान अकसर लोग ज्यादा तला भुना और मिर्च मसाले वाला खाना खाते हैं. पर ऐसा करना उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए एक बार इस संबंध में डॉक्टर से भी सलाह ली जा सकती है.
क्या है सहरी?
रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है. इसे सहरी नाम से जाना जाता है. सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है. इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है. हालांकि बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है.
क्या है इफ्तार?
दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है. यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है. इसे इफ्तार के नाम से जाना जाता है. इसके बाद सुबह सहरी से पहले तक व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है.
रोजा से जुड़े वो सवाल जो आपके मन में भी उठते होंगे
सवाल – यदि कोई व्यक्ति रमजान के पूरे महीने रोजा रखने का इरादा रखता है और उसके बाद रोजा रखने में असमर्थ है तो क्या हुक्म है?
जवाब – अगर रमजान का रोजा उजर शरई की वजह से नही रखा गया तो कजा करना पड़ेगा और वह शख्स गुनाहगार नहीं होगा.
सवाल – अगर रोजा रखने वाले को मिर्गी का दौरा पड़े या ऐसी कोई बीमारी हो तो रोजे का क्या हुक्म है?
जवाब – मिर्गी से रोजा नहीं टूटता.
सवाल – क्या रोजेदार के लिए रोजा खोलने से पहले वजू करना जरूरी है?
जवाब – रोजा खोलने के लिए वुजू करना जरूरी नहीं है, लेकिन वुजू से रहना ही बेहतर है.
सवाल – अगर कोई रोजेदार किसी के द्वारा दी गई खजूर से अपना रोजा खोलता है तो क्या उस रोजे का सवाब खजूर देने वाले को मिलेगा?
जवाब – रोजा इफ्तार कराना बहुत सवाब का काम है, लेकिन किसी दूसरे की खजूर से रोजा इफ्तार करने से सवाब कम नहीं होता.
सवाल – क्या रमजान के महीने में जकात निकालना जरूरी है?
जवाब – रमजान में जकात वाजिब नही है. निसाब और वक्त पूरा होने पर जकात वाजिब होती है.
सवाल – रोजे की नियत करने के बाद टूथपेस्ट या मंजन कर सकते हैं?
जवाब – रोजा मकरूह हो जाएगा, अलबत्ता मिस्वाक कर सकते हैं.
सवाल – बगैर सहरी के रोजा रखना कैसा है?
जवाब – सहरी के समय उठना और सहरी करना सुन्नत है. अगर सहरी नहीं करते हैं तो रोजा हो जाएगा, लेकिन सुन्नत रह जाएगी.
सवाल – रोजे की हालत में इत्र या सुरमा लगा सकते हैं?
जवाब – इत्र लगा सकते हैं, सुरमा नही.
सवाल – तरावीह की नियत हर 2 रकात पर की जाएगी?
जवाब – एक बार भी कर लेना काफी होगा.