पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छुरा विकासखंड में सोरिद के (Ramai Path Temple News) पहाड़ों पर माता रमई पाठ मौजूद है. जहां सैंकड़ों की संख्या में भक्त चैत्र और शारदीय नवरात्र में ज्योति प्रज्वलित करने के अलावा रामनवमी को विशेष दर्शन के लिए जुटते हैं. मान्यता है कि राम वनवास के दरम्यान यहां राम लखन और माता जानकी ठहरे हुए थे. स्थल में एक आम वृक्ष है, जिसके जड़ से अनवरत पानी झरते रहता है.
कहा जाता है कि माता सीता को लगी प्यास बुझाने लक्ष्मण के तीर से यह जल स्रोत फूटा था. राम और माई सीता के वास के कारण यंहा की देवी को रमई के नाम से पूजा जाता है. किसी भी देव स्थल पर राम और सीता की मूर्ति स्थापित होने का भी यह पहला स्थान है. यंहा की शक्ति से अवगत होने के बाद 8वीं शताब्दी में रजवाड़े काल से यंहा पूजन होने का इतिहास है. आज राम नवमी के दिन ऐतिहासिक रमई पाठ में भक्तों की भीड़ जुटी हुई है.
जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर छुरा विकास खण्ड के सोरिद गाव की पहाड़ी पर रमई माता विराजीत है. जहां नवरात्रि पर माता के द्वारी में 864 ज्योत जगमगा रहे हैं. लोग माता के दर्शन करने देश परदेश से पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के अवसर पर यहां नव दिनों तक विशेष भंडारा और जसगीत का आयोजन किया जाता है.
रमई पाठ में आम की पेड़ से अनवरत जल की धारा बह रही है, जो बारह मास ऐसा ही बहता रहता है. भक्तगण माता रमई पाठ की दर्शन करके आम पेड़ की जड़ से निकल रही जलधारा को देख कर आश्चर्य चकित हो जाते हैं. इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं.
छुरा विकास खण्ड से 15 किलोमीटर दूर ऊंचे पहड़ी पर माता रमई पाठ देवी विराजित है. जहां लोग अपनी मनोकामना पूरा करने के लिए भक्तों की भीड़ बड़ी संख्या में पहुच रही है. किवदंती के अनुसार रमई माता की पूजा आस पास लोग आठवीं सताब्दी से करते आ रहे हैं. यहां रमई माता भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है. बताया जाता है कि भगवान राम जब वनवास गए, तब सीता माता को कुछ समय के लिए यहां छोड़कर गए थे. माता सीता उस समय गर्भ धारण की हुई थी. इसलिए इस माता का नाम रमई माता रखा गया है.
रमई माता में हमेशा पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे प्रदेश से देवी दर्शन करने पहुंचते हैं. भगतगण माता से जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं, भक्तों की मनचाही मुरादें माता पूरी करती है. पर्यटकों ने बताया कि माता की शक्ति अपरम्पार है. यहां आम पेड़ से निकल रही अनवरत जल धारा देख कर काफी अच्छा लगता है और जो भी इस पानी को देखता है चकित हो जाता है.
साथ ही यहां जिस माता की गोद सुनी होती है. माता के पास माथा टेकने से उसकी गोद भर देती है. साथ ही यहां की पानी जो निकल रही है. काफी पवित्र है और लोग दूर दूर से माता की दर्शन करने पहुंच रहे हैं.
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