रायपुर. हर्निया मुक्त समाज अभियान के तहत रामकृष्ण केयर अस्पताल जागरूकता अभियान चला रहा है. अस्पताल के डायरेक्टर संदीप दवे ने बताया कि एक सामान्य जीवन जीने का प्रयास हर्निया जागरूकता के बारे में जानें और अपने जीवन को सामान्य करें. इस 60 दिवसीय अभियान में हमने 1,00,000 लोगों को हर्निया के प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया है, ताकि आम नागरिकों को हर्निया रोग के कारणों और समस्याओं के बारे में पता चल सके और इस अभियान के माध्यम से वे अपने स्वास्थ्य की ठीक से जांच करवा सकें.

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हर्निया मुक्त समाज अभियान के तहत विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों में रामकृष्ण केयर अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम होगी, जो अपने अनुभव साझा कर बीमारी से जुड़ी जानकारी देगी. हर्निया मुक्त समाज सामान्य दिनचर्या में हर्निया के कारण परेशानी या दर्द हो सकता है. वजन उठाने या भारी काम करने में भी परेशानी होती है. यहां तक ​​कि सामान्य दिनचर्या भी प्रभावित होती है. यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर्निया समय के साथ नहीं सुधरता या दूर होता है, जैसा कि कई बीमारियों में होता है, लेकिन समय के साथ यह बढ़ता रहता है और गंभीर रूप ले सकता है. अगर आंत फंस जाती है या हर्निया में फंस जाती है तो जान को खतरा हो सकता है इसलिए इसका तुरंत इलाज कराना चाहिए.

डायरेक्टर संदीप दवे ने बताया कि मांसपेशियां कमजोर होने के कारण मनुष्य को कई तरह की बीमारियां और परेशानियां होती हैं. हर्निया भी उन्हीं में से एक है. जब एक मांसपेशी या उत्तक में छेद होकर उसके अंदर का अंग, हिस्सा बाहर आने लगता है तो उसे मेडिकल की भाषा में हर्निया रोग कहते हैं. ज्यादातर मामलों में यह पेट में देखने को मिलता है, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभि और कमर के आसपास भी हो सकता है. अधिकतर मामलों में हर्निया घातक नहीं होते हैं, लेकिन उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है. हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है.


ये हैं हर्निया रोग के कारण
हर्निया के कई कारण हो सकते हैं. मुख्य रूप से मांसपेशियां कमजोर होने के कारण हर्निया होता है. मांसपेशियों के कमजोर होने के मुख्य कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं, जो आगे जाकर हर्निया का कारण बन सकते हैं. उम्र बढ़ना, चोट लगना, गर्भवती होना, मोटापा होना, धूम्रपान करना, वजन अधिक होना. पुरानी खांसी होना, पीसीओडी होना, आनुवंशिक कारण, पुरानी कब्ज होना, हैवी व्यायाम करना, भारी वजन उठाना, मल्टीपल गर्भधारण होना, सिस्टिक फाइब्रॉइड्स होना, जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना, पेट में तरल पदार्थ जमा होना आदि हर्निया बीमारी के कारण हैं.