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रायपुर। मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक के दौरान जब प्रदेश में शिक्षकों की कमीं पर चर्चा चल रही थी,उस समय दो वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर अपने-अपने सुझाव को लेकर बातें करने लगे। दोनों मंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव के पक्ष में मजबूत तर्क रखना शुरु किया और इसी दौरान दोनों में बहस होने लगी। इसपर बीच बचाव करते हुए एक और वरिष्ठ मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने सीएम को सलाह दी कि इन्हीं दोनों में से किसी एक को स्कूल शिक्षा विभाग का मंत्री बना दिया जाये। इस सलाह को सुनते ही दोनों मंत्री सकपका गये और दोनों ने ही भगवान बचाये कहते हुए अपने-पने कान पकड़ लिये। इस बात पर कैबिनेट में कुछ देर के लिये ठहाके लगने लगे और फिर इसके बाद दूसरे एजेंडे पर चर्चा शुरु हुई। इस पूरे वाकये से इस बात को समझा जा सकता है कि भारी-भरकम बजट होने के बावजूद इस विभाग की जिम्मेदारी कोई अनुभवी मंत्री नहीं लेना चाहता। –दरअसल शिक्षा विभाग इन दिनों कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। शिक्षकों के हजारों पद खाली पडे हैं,विभाग में पदोन्नति भी सालों से लंबित है, शिक्षा के गुणवत्ता के मामले में भी छत्तीसगढ़ की स्थिति देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत पिछडी हुई है। ऐसे में विभाग की छवि सुुधारने को लेकर सलाह तो सभी दे देतें हैं, लेकिन विभाग की जिम्मेदारी संभालने की मजाकिया बात को सुनकर ही दिग्गज सहम से जाते हैं। ऐसे में इस विभाग का भगवान ही मालिक है।