रायपुर। रमन कैबिनेट की बैठक में समाज के उपेक्षित वर्गों मानसिक रोगी, कुष्ठ रोगी, एचआईवी पीडित और थर्ड जेंडर को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की दिशा में बड़ा फैसला लिया गया है. इसके तहत छत्तीसगढ़ निराश्रितों एवं निर्धन व्यक्तियों की सहायता अधिनियम 1970 में संसोधन करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है. अब इस अधिनियम के तहत इन वर्गों से जुड़े लोगों को भी सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा और इनके लिये सभी तरह की सरकारी सुविधायें मुहैया कराई जा सकेंगी. समाज कल्याण विभाग की ओर से इस आशय का प्रस्ताव आज कैबिनेट की बैठक में रखा गया था,जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी. अब इस संशोधन प्रस्ताव को विधेयक के रुप में विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जायेगा,जहां पर पारित होने के बाद ये अधिनियम व्यापक स्वरुप में सामने आ जायेगा.
समाज कल्याण विभाग के सचिव सोनमणि वोरा ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में सरकार के इस फैसले को बेहद संवेदनशील निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का ये एक बेहद संवेदनशील निर्णय है.
इस निर्णय से राज्य के हजारोंं ऐसे विशेष जनसमूह को उनके अपेक्षाओं के अनुरूप शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा. साथ ही इस निर्णय से व्यापक परिप्रेक्ष्य में विभाग की आगामी योजनाएं बनाने और इसे क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी.
आईये जानते हैं सरकार के इस निर्णय से कितने लोगों का सीधे फायदा मिलेगा
1. राज्य में करीब 27400 लोग एचआईवी एड्स रोग से पीड़ित हैं,जिसमें 1500 बच्चे भी शामिल हैं. अभी तक ये लोग सरकार की किसी भी योजना का लाभ लेने से वंचित रहते थे,लेकिन संशोधन विधयेक पारित होने के बाद इन्हें गरीब और निराश्रितों के लिये संचालित सभी योजनाओं का सीधा फायदा मिलेगा.
2. प्रदेश में 12800 लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं और करीब 38000 लोग कुष्ठ रोग से स्वस्थ होकर समाज के बीच रह रहें हैं. ये सभी भी शासन की योजनाओं के तहत कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने से वंचित रह जातें हैं. अब इन 50800 लोगों को सीधे शासन की सभी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा.
3. प्रदेश में थर्ड जेंडर समुदाय के लोगों की पंजीकृत संख्या 3000 से उपर है और अब तक इन्हें भी निराश्रित और गरीबों के लिये चलने वाली सभी कल्याणकारी योजनाओं से नहीं जोड़ा जा सका है. अब थर्ड जेंडर के लोगों को भी तमाम शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सकेगा.
4. प्रदेश भर में मानसिक रोगियों की संख्या में हजारों में है, जिनकी अधिकृत गणना समाज कल्याण विभाग के पास नहीं है. ऐसे रोगियों के लिये अभी प्रदेश में एकमात्र सरकारी अस्पताल है, मानसिक रोग से ठीक हुुए लोगों को भी समाज में उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है. इसलिये समाज कल्याण विभाग मानसिक रोगियों और इससे रोग से स्वस्थ हुए लोगों के लिये भी चिकित्सा,पुनर्वास और सहायता की योजनाएं चलाना चाहता है. अब संशोधित अधिनियम से मानसिक रोग से पीड़ित हजारों लोगों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सकेगा.
इस प्रकार कैबिनेट के इस निर्णय से 81000 से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा, साथ ही हजारों मानसिक रोगी भी इस निर्णय से लाभान्वित होंगे.