रायपुर. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कुपोषण से लड़ने में तीन सालों में केरल के बराबर पहुंचने का लक्ष्य रखा है. रायपुर में कुपोषण की ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था का शुभांरभ करते हुए रमन सिंह ने कहा कि हम संकल्प ले कि कुपोषण में हम आने वाले तीन सालों में केरल के बराबर आ जाएंगे. केरल 12 से 15 के बीच आ गया है. छत्तीसगढ़ में हम कुपोषण की दर में 30 से 35 फीसदी के आसपास है.
उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई छोटी है. कुपोषण के खिलाफ जो लड़ाई है ये सबसे बड़ी लड़ाई है. उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ तो लड़ाई जीत ही लेंगे. लेकिन देश में कुपोषण से जितनी मौतें होती हैं उतनी किसी बड़े युद्ध में भी नहीं होती. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में क्षमता है कि वो कुपोषण को हरा सकती है. उन्होंने कहा कि कुपोषण की चुनौती राज्य में पहले से थी. कुपोषण के मामले में आज हम 72 फीसदी से घटकर 30 से 35 फीसदी पर आ गए है.
रमन सिंह ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग देश मे एक मॉडल बन सकता है. माँ अपने बच्चे को अच्छा ही खिलाती है. अपने बच्चों की चिंता करती है. उन्होने कहा कि बाकी राज्यों से छत्तीसगढ़ में तुलनात्मक गिरावट आई है. स्कूलों में आगंनबाडी में यदि ज्यादा जोर दे तो कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में हम ज्यादा बेहतर नतीजे ला सकते है.
मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन का मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने शुभारंभ किया. इस मिशन के तहत कुपोषण की निगरानी के लिए अब ऑनलाइन व्यवस्था होगी. इसके लिए ऑनलाइन पोषण परामर्श केंद्र बनाए जाएंगे. विशेष चिन्हांकित क्षेत्रों हेतु संकल्प सुपोषण अभियान चलाया जाएगा. समुदाय से बाल मित्रों व आंगनबाड़ी मित्रों का होगा चिन्हाकन किया जाएगा जो इस अभियान में शामिल होंगे.
इस मौके पर महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने कहा कि पहले कहा जाता था छत्तीसगढ़ कुपोषित राज्य है, लेकिन जब से रमन सरकार बनी तो ये तय किया गया कि छत्तीसगढ़ को सुपोषित राज्य बनाया जाएगा. हम कुपोषण में 10 फीसदी तक कमी लाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है’.
इस मौके पर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने कहा कि मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर है कि आने वाली पीढ़ी को सुधारना है तो हमारे बच्चों का ध्यान रखना होगा. शायद ही देश मे होगा कि 1600 से अधिक समूह रेडी टू इट फ़ूड बनाया जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है कहीं-कहीं महिला समूहों द्वारा तैयार किये जा रहे रेडी टू इट फ़ूड में गिरावट आई होगी. इसके लिए महिला समूहों को अच्छे से गाइड करना है. ये विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि काम मे लापरवाही ना हो. उन्होंने कहा कि प्रदेश में संस्थागत प्रसव 14 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो गया है.
इस मौके पर विभाग की सचिव एम गीता ने कहा कि इस मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि मिशन की सोच कुछ खास मकसद से की गई है. समीक्षा बैठक के दौरान कुपोषण की बातें हर तरफ होती थी. अब लग रहा है कि ये बातें अब कम होती है. अब हम कुपोषण की बात नहीं करेंगे बल्कि अब सुपोषण की बाते होंगी. उन्होंने कहा कि राज्य में सुधार की बहुत गुंजाइश है. प्रदेश में 75 फीसदी महिलाएं एनीमिक है. सुपोषण मिशन में 28 विभागों का समन्वय होगा. 18 कार्यक्रम तय किये गए है. क्षेत्रीय भाषा मे जागरूकता लाई जाएगी. यूनिसेफ का तकनीकी सहयोग मिलेगा.