राजनांदगांव/रायपुर। कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण और लॉक डाउन के बीच सूबे में शराब दुकानों के खोले जाने से सरकार, सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष के निशाने में है. सरकार के खिलाफ यह नाराजगी उस वादे के उल्लंघन को लेकर है जो विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने किया था, वादे के अनुसार सूबे में सरकार बनने पर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू की जाएगी. अपने इस वादे को लेकर डेढ़ साल पुरानी यह सरकार विपक्ष के निशाने पर तो पहले से ही थी लेकिन लॉक डाउन में 40 दिन दुकान बंद रखने के बाद दुबारा ऐसे वक्त में पुनः शराब दुकान चालू किया गया जब लोगों की यह लत छूट चुकी थी. जिससे अब एक बार फिर सबके निशाने में सरकार आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार शराबबंदी के नाम पर बनी है. यह एक अच्छा अवसर सरकार ने खो दिया, क्योंकि 40 दिन तक लोग बिना शराब के रह चुके हैं. अभी तक शराब नहीं मिलने के कारण किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है. धारा 144 के बीच शराब दुकानों में लंबी-लंबी कतारों में सोशल के साथ ही पर्सनल डिस्टेंशिंग के उल्लंघन पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार को लोगों की चिंता नहीं है. लाइन में एक दूसरे से सट कर लोग खड़े हैं, शराब दुकान प्रारंभ कर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जी उडा़ई जा रही है. दूसरे राज्यों से आने वाले नागरिकों को लेकर रमन सिंह ने कहा कि परमिशन लेकर आने वाले को राज्य की सीमा में रोका जा रहा है और जो बिना अनुमति आ रहे हैं उन्हें ट्रक में बैठाकर छोडा़ जा रहा है. वहीं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राजधानी में एक प्रेसवार्ता में सरकार के द्वारा शराब दुकान खोले जाने पर निशाना साधते हुए कहा कि कवर्धा में क्वॉरेंटाइन सेंटर में शराब पीकर लोग झूम रहे हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर में कोरोना के मरीज पाए जा रहे हैं. महिलाएं विरोध कर रही है तो उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया जा रहा है यह मामला तो उन अधिकारियों पर दर्ज होना चाहिए जहां पर शराब दुकान में 5 से ज्यादा लोग नजर आए. उन्होंने कहा कि  सरकार अपनी पूर्ण शराबबंदी का वादा निभाए सरकार को उसके द्वारा किए गए वादे की याद दिलाते हैं. बृजमोहन ने कहा कि सरकार मजदूरों को लाने को लेकर राजनीति कर रही है, एक जिले से दूसरे जिले में लोगों को जाना है उसके लिए परमिशन नहीं मिल रही है. लोग अपना आवेदन लेकर केवल घूम रहे हैं अभी तक कितना पैसा आपने कोरोना के लिए खर्च किया है यह सार्वजनिक करे सरकार. सरकार यह भी सार्वजनिक करे कि सरकार के पास कितने मजदूरों और कितने छात्रों का आवेदन आया है, इसको सार्वजनिक करें और कितनी ट्रेन की मांग केंद्र सरकार से की है, उसे भी सार्वजनिक करें केवल गोलमोल बातें कर रही है सरकार. पूर्व कृषि मंत्री ने धान खरीदी को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि किसानों को डिफरेंस की राशि देने के लिए मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था, लेकिन मई का महीना शुरू हो गया है और अभी तक उनके खाते में पैसे नहीं गए.