रायपुर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटी घटना के विरोध में कांग्रेस के मौन व्रत पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या करता है, आदिवासी मारे जाते हैं तो संवेदना व्यक्त करने तक नहीं जाते हैं. वहां उत्तर प्रदेश में उदारता दिखा रहे हैं.

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लखीमपुर की बड़ी पीड़ी हो रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ की पीड़ा तो महसूस करें. छत्तीसगढ़ में कोई किसान आत्महत्या करता है, उसके लिए कोई संवेदना व्यक्त करने कोई नहीं पहुंचता. तो प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं जाते. जब सिलगेर की घटना होती है तो वहां केंद्रीय नेतृत्व पीड़ा व्यक्त करने नहीं आता. और वहां (उत्तर प्रदेश) जाकर 50 लाख दे रहे हैं,. वहां उदारता दिखा रहे हैं. ये सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रहे हैं.

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वहीं दूसरी पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के मौन व्रत को राजनीतिक नौटंकी करार देते हुए कहा कि उनको स्वयं उनके विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गम्भीरता से नहीं लेते, कोई उनकी नहीं सुनता. ऐसे में उनका मौन व्रत केवल राजनीतिक नौटंकी और अपने आपको कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष होने का अहसास करवाने का प्रयास है.

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उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक दिल्ली शक्ति प्रदर्शन के लिए जाते हैं, मोहन मरकाम को पता नहीं होता. वे वीडियो जारी कर अपील करते हैं, कोई गम्भीरता से नहीं लेता. उल्टे महापौर, निगम मण्डल, अध्यक्षों की दिल्ली जाने कतार लग जाती हैं, और कांग्रेस अध्यक्ष अपील करते ही रह जाते हैं. यही कांग्रेस अध्यक्ष के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा करता हैं, फिर उनके मौन व्रत का क्या औचित्य.

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केदार कश्यप ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से सवाल करते हुए कहा कि कहीं वे छत्तीसगढ़ में चल रही कुर्सी की लड़ाई के बीच चन्नी की भूमिका में अपने आपको तो नहीं देख रहे हैं? और इसीलिए मौन व्रत की राजनीतिक नौटंकी में लगे हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को अपनी पदयात्रा के दौरान कुर्सी की लड़ाई के चलते छत्तीसगढ़ के विकास को बाधित करने के लिए जनता से माफी मांगने की नसीहत दी है.

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