रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि जिन विश्वविद्यालयों में देश विरोधी नारे लगते हैं, वहां कबीर को पढ़ाया जाये। उन्होंने कहा कि भटकी हुई युवा पीढ़ी को कबीर के विचार का ज्ञान देना चाहिए। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि अगली बार ऐसा आयोजन खासतौर पर जेएनयू में आयोजित होना चाहिए। आजादी का नारा लगाने वालों के लिए कबीर की चौपाई ही उसका जवाब है।
राजधानी रायपुर के सर्किट हाउस में कबीर साहित्य में समरसता और संचार विषय पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दुनिया को ग्लोबल विलेज माना जाता है, तो कबीर से बड़ा ब्रांड एम्बेसडर कोई नहीं हो सकता। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि कबीर से बड़ा कम्युनिकेटर ना पैदा हुआ है और ना होगा। दुनिया मे ऐसा फक्कड़ संत पैदा नहीं हुआ है। जब तक ये संस्कृति रहेगी उनका विचार प्रभावशाली होता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि- आज कोई समाचार छपता है तो उसका खंडन हो जाता है। आज की मीडिया में प्रभाव का संकट पैदा हो गया है, जबकि कबीर में ना केवल विचार था, बल्कि अभिव्यक्ति का साहस था। दृढ़ इच्छाशक्ति थी।
उन्होंने धर्म के खिलाफ कभी बात नहीं कि, बल्कि धर्म के पाखण्ड के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा कि समरसता का इससे ज्यादा प्रभाव क्या होगा कि कबीर जब नहीं थे, तब मुस्लिम ने कहा दफनाना है। हिंदुओं ने कहा जलाना है। अंतिम दौर में ही जब हर धर्म के लोग खड़े थे, तो इससे ज्यादा समरस भाव नहीं हो सकता। कबीर ने किसी धर्म का विरोध ना करते हुए अपने भाव के आधार पर अपनी बात कहीं।
कार्यक्रम में मौजूद हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि भारत की पहचान यहां की संस्कृति से है। संतों से है। इसका जन्म यहां के संतों और संस्कृति से हुआ है। दुनिया के कई राष्ट्रों का निर्माण राजाओं के माध्यम से हुआ है।
सोलंकी ने कहा- मौजूदा दौर में नरेंद्र मोदी देश के सबसे बड़े कम्युनिकेटर हैं। अच्छा प्रशासक वही है, जो हृदय से संत है। राज्यपाल ने कहा कि पत्रकार जब कभी उल्टा करता है तो वो समाज के लिए ठीक नहीं होता। भारत की पहचान सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है। जब तक इसकी पहचान को कायम नहीं देखेंगे देश को महान नहीं बना पाएंगे। इस बात को समझने की जरूरत है।