सुकमा। राम वन गमन पथ के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में रामाराम विकसित होगा. इसे मूर्त रूप देने के लिए रामाराम पहुंचे मुख्य सचिव आरपी मंडल ने स्थल के सौन्दर्यींकरण सहित आवश्यक सुविधाएं विकसित करने अधिकारियों को निर्देशित किया. इसके अलावा उन्होंने आने वाले दिनों में इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही.

रामाराम के निरीक्षण के दौरान मुख्य सचिव मंडल के साथ संस्कृति विभाग के सचिव पी अन्बलगन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, संजय शुक्ला, आईजी पी सुंदरराज, कलेक्टर चंदन कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे. मुख्य सचिव ने रामाराम स्थित रामारामीन चीटमीटीन अम्मा देवी के प्राचीन मंदिर का अवलोकन किया.

कलेक्टर चन्दन कुमार ने बताया कि रामाराम मंदिर इस क्षेत्र के लोगों में देवी के प्रति गहरी आस्था होने के कारण एक बेहद ही धार्मिक स्थल है. लोगों में मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान दक्षिण की तरफ गमन के दौरान रामाराम पहुँचे थे, वर्तमान में यहां मंदिर है. रामाराम में हर साल फरवरी माह में भव्य मेला का आयोजन होता है.

बस्तर के इंतिहास के अनुसार 608 सालों से यहां मेला आयोजन होता आ रहा है. वहीं सुकमा जमीदार परिवार रियासत काल से यहां पर देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं. मां रामारामिन की डोली रामाराम के लिए राजवाड़ा से निकलती है. माता की डोली की पूजा नगर में जगह-जगह की जाती है. इस उत्सव में आस-पास के देवी-देवताएं भी पहुंचते हैं. रामाराम मेले के बाद जिले में जगह-जगह मेले का आयोजन किया जाता है.

मान्यता है कि श्रीराम ने यहां भू-देवी की आराधना की थी. श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा श्रीराम वनगमन स्थल के रूप में रामाराम को सालों पहले चिन्हित किया गया है. मुख्य सचिव ने रामाराम प्रवास के दौरान यहां स्थित प्राचीन मंदिर में पहुंचकर रामारामीन चिटमिटीन मां के दर्शन किए और उनसे प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद लिया.