रंभा तीज व्रत (Rambha Teej Vrat) में 29 मई (गुरुवार) को रखा जाएगा. यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सौभाग्य और वैवाहिक सुख के लिए किया जाता है. यह पर्व मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और राजस्थान जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में प्रचलित है.

वहीं ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में भी यह व्रत श्रद्धा से किया जाता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत की पूजा रात्रि के समय की जाती है, विशेषकर वहां जहां इसे रंभा तीज (Rambha Teej) के नाम से जाना जाता है. रात्रि पूजन में महिलाएं देवी रंभा या गौरी माता की मूर्ति की विशेष पूजा करती हैं और कथा श्रवण करती हैं.
रंभा व्रत की संपूर्ण पूजन विधि
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें.
- देवी रंभा या माता गौरी की मूर्ति स्थापित करें.
- रोली, चावल, फूल, फल, आम के पत्ते और बिल्व पत्र से पूजन करें.
- व्रत कथा का श्रवण करें.
- दिनभर निर्जला या फलाहारी व्रत रखें और रात्रि में पूजा उपरांत व्रत खोलें.
रंभा व्रत के लाभ
- यह व्रत वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और सामंजस्य को बढ़ाता है.
- पति की आयु लंबी होती है और उसे स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
- कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.
- यह व्रत स्त्री के सौंदर्य और सौभाग्य को भी बढ़ाता है.
- श्रद्धा और विश्वास से किया गया रंभा तीज व्रत (Rambha Teej Vrat) स्त्री के जीवन में सुख-शांति और संतुलन लाता है.
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